दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) रविवार को अपना 45वां स्थापना दिवस मना रही है. 1984 के लोकसभा चुनावों में सिर्फ दो सीटों वाली एक राजनीतिक पार्टी से लेकर आज केंद्र और 18 राज्यों में शासन करने वाली भाजपा की यात्रा, स्वतंत्रता के बाद की भारतीय राजनीति में सबसे उल्लेखनीय परिवर्तनों में से एक को दर्शाती है.
6 अप्रैल, 1980 को मुंबई में आधिकारिक तौर पर भाजपा का गठन किया गया, जिसके पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी थे. शुरुआत में एक उदारवादी, गांधीवादी समाजवादी छवि अपनाने के बावजूद, पार्टी को चुनावी बढ़त बनाने में संघर्ष करना पड़ा.
स्वतंत्रता के बाद से कांग्रेस का लंबे समय तक शासन रहा, लेकिन शुरुआती संघर्ष के बाद भाजपा ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख मजबूत की और चुनावों में धीरे-धीरे अपना वोट प्रतिशत बढ़ाया, जो कभी कांग्रेस को वोटबैंक हुआ करते थे और धीरे-धीरे वो भाजपा में शिफ्ट होने लगे और वर्तमान में कांग्रेस को पछाड़कर भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गयी है.
1984 के चुनाव में भाजपा को मिली थी मात्र दो सीटें
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए 1984 के आम चुनाव में भाजपा को सिर्फ दो सीटें मिलीं. राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने रिकॉर्ड 404 सीटों के साथ चुनाव जीता. भाजपा की मामूली उपस्थिति जीनारायण रेड्डी (हनमकोंडा, अब तेलंगाना में) और ए.के. पटेल (मेहसाणा, गुजरात) से आई. हार के बावजूद, भाजपा ने अपनी रणनीति को फिर से बदलना शुरू कर दिया. 1980 के दशक के अंत तक, इसने हिंदुत्व के अपने मूल वैचारिक आधार को फिर से अपनाया और खुद को राम जन्मभूमि आंदोलन के साथ जोड़ लिया. इस बदलाव ने भाजपा को एक गंभीर राष्ट्रीय दावेदार के रूप में उभर कर सामने लाया.
1984 में भाजपा राष्ट्रीय परिदृश्य पर एक मामूली खिलाड़ी थी, जिसने तब लोकसभा की 514 सीटों में से केवल 224 सीटों पर चुनाव लड़ा था. भाजपा ने अपना सबसे खराब प्रदर्शन दर्ज किया, मात्र दो सीटें (आंध्र प्रदेश और गुजरात में एक-एक सीट) जीतीं और 7.74 प्रतिशत वोट शेयर दर्ज किया. दूसरी ओर, कांग्रेस ने 49.10 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 404 सीटें जीतकर अपनी सबसे बड़ी चुनावी जीत दर्ज की थी.
1989 के चुनावों में भाजपा ने अपनी स्थिति मजबूत की और 225 सीटों पर चुनाव लड़कर 85 सीटें जीतीं और 11.36 प्रतिशत वोट हासिल किए. कांग्रेस ने 510 सीटों पर चुनाव लड़कर 197 सीटें जीतीं और 1984 के मुकाबले आधी से भी कम रह गई। इस पुरानी पार्टी का वोट शेयर 39.53 प्रतिशत रह गया. भाजपा ने जनता दल को समर्थन दिया, जिसने 143 सीटें जीतीं; गठबंधन को सीपीआई (एम) का भी समर्थन प्राप्त था, जिसने 33 सीटें जीतीं, और छोटे क्षेत्रीय दलों का भी. भाजपा ने गुजरात (12), बिहार (8), मध्य प्रदेश (27), राजस्थान (13) और उत्तर प्रदेश (8) में सीटें जीतकर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई। इन राज्यों में जनता दल ने कांग्रेस को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाया. पार्टी ने बिहार (32 सीटें), गुजरात (11 सीटें), राजस्थान (11 सीटें), ओडिशा (16 सीटें) और उत्तर प्रदेश (54 सीटें) में बड़ी जीत दर्ज की.
देश की सियासत ने करवट ली, शिप्ट होने लगे कांग्रेस को वोट
इस बदलाव के साथ ही देश की सियासत ने करवट लेनी शुरू कर दी और कांग्रेस के वोटबैंक धीरे-धीरे भाजपा में शिफ्ट होने लगे. इनमें व्यापारी वर्ग से लेकर किसान, मध्य वर्ग, महिलाएं, युवा और नौकरी पेशा से जुड़े हुए लोग थे. मुख्यतः भाजपा की हिंदुवादी विचाराधार से लोगों को प्रभावित किया और उससे एक बड़ा वर्ग जो कभी कांग्रेस को वोट दिया करता था. वह भाजपा के साथ हो लिया. वहीं, कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां, जैसे बिहार में आरजेडी और जेडयू, बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में शिफ्ट हो गई. इन सभी ने धीरे-धीरे कांग्रेस को राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर करना शुरू किया. इसे वोट प्रतिशत से समझ सकते हैं.
अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद स्थल पर मंदिर के निर्माण की मांग करते हुए राम जन्मभूमि आंदोलन 1980 के दशक के अंत में भाजपा के उत्थान का केंद्र बन गया. लालकृष्ण आडवाणी की 1990 की रथ यात्रा की. 1989 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने 85 सीटें हासिल कीं और 1991 तक यह 120 तक पहुंच गई. राज्य स्तर पर, भाजपा ने 1990 के दशक की शुरुआत में हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सरकारें बनाईं. भाजपा ने 468 सीटों पर चुनाव लड़कर 120 सीटें जीतीं. पार्टी ने अपने वोट शेयर में भी उल्लेखनीय वृद्धि की और 20.11 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 36.26 फीसदी रह गया.
1996 में भाजपा बन गई देश की सबसे बड़ी पार्टी
1996 में, भाजपा 161 सीटों के साथ लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन बहुमत हासिल करने में असमर्थ होने के कारण उन्होंने 13 दिनों के बाद इस्तीफा दे दिया.
भाजपा ने 471 सीटों पर चुनाव लड़कर 161 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस 140 सीटों पर सिमट गई, जो 1991 की तुलना में 100 से अधिक सीटों का नुकसान था. देश की सबसे पुरानी पार्टी ने वोट शेयर में बढ़त बनाए रखी: उसने 28.80 प्रतिशत लोकप्रिय वोट जीते, जबकि भाजपा को 20.29 प्रतिशत वोट मिले.
1998 में, भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सत्ता में आया, जिसके प्रधानमंत्री वाजपेयी थे. हालांकि सरकार एक साल के भीतर गिर गई, लेकिन 1999 में नए चुनावों में एनडीए ने स्थिर बहुमत के साथ वापसी की. वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने 1999 से 2004 तक अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया, जिसमें बुनियादी ढाँचे, परमाणु नीति और आर्थिक उदारीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया. भाजपा ने 2004 के चुनाव और फिर 2009 में भी मजबूत अभियान के बावजूद हार का सामना किया, लेकिन इसने इस अवधि का उपयोग अपने संगठनात्मक नेटवर्क को मजबूत करने और अपनी संचार रणनीति को फिर से तैयार करने के लिए किया.
वोट प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो 1998 में कांग्रेस को 25.82% और भाजपा को 25.59% फीसदी वोट मिले. वोट प्रतिशत में अंतर बहुत ही कम रहा. 1999 में यह वोट प्रतिशत क्रमशः 28.30%और 23.75%फीसदी रहा. 20004 में कांग्रेस को 26.53% और भाजपा को 22.16% फीसदी तथा 2009 में कांग्रेस को 28.55% और भाजपा को 18.80% फीसदी वोट मिले.
2014 में कांग्रेस का वोट प्रतिशत गिरकर रह गया 19.52%
2014 में, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भाजपा ने 282 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जीत हासिल की – तीन दशकों में अपने दम पर बहुमत हासिल करने वाली पहली पार्टी थी. अभियान का ध्यान विकास, भ्रष्टाचार विरोधी और मजबूत नेतृत्व पर केंद्रित था. इस चुनाव में कांग्रेस को वोट प्रतिशत 19.52% रह गया और भाजपा का वोट प्रतिशत 31.34% तक पहुंच गया.
2019 में, मोदी ने पार्टी को 303 सीटों के साथ और भी बड़ी जीत दिलाई. भाजपा के कथानक में राष्ट्रवाद, उज्ज्वला और जनधन जैसी कल्याणकारी योजनाएँ और एक तेज डिजिटल आउटरीच शामिल थी. 2024 में, पार्टी ने 240 सीटों के साथ सत्ता बरकरार रखी, एनडीए सहयोगियों के समर्थन से सरकार बनाई.
2025 तक, भाजपा उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और असम सहित 14 राज्यों में अपने दम पर सत्ता में है. एनडीए सहयोगियों के साथ, यह बिहार और आंध्र प्रदेश सहित चार और राज्यों में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है. 1984 में दो सदस्यीय पार्टी के रूप में खारिज होने से लेकर दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनने तक, भाजपा का उदय रणनीतिक योजना, वैचारिक दृढ़ता और जमीनी स्तर पर लामबंदी का एक उदाहरण है. अपने 45वें स्थापना दिवस के अवसर पर, भाजपा भारतीय राजनीति के भविष्य को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभा रही है.