शाजापुर में निभाई गई 268 साल पुरानी परंपरा दशमी पर हुआ ऐतिहासिक कंस वधोत्सव कार्यक्रम, देव और दानवों के बीच वाकयुद्ध में, छाए रहे ज्वलंत मुद्दे,गवली समाजजन लाठियों से पीटते ले गए कंस का पुतला
शाजापुर शहर में 268 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक परंपरा कंस वध उत्सव का कार्यक्रम हुआ यहां सोमवारिया बाजार में रात 12 बजे श्री कृष्ण का रूप धरे कलाकार ने कंस के पुतले का वध किया इससे पूर्व रात 10 बजे सोमवार है बाजार में श्री कृष्ण बलराम धनसूखा और मनसूखा का रूप धरे कलाकार पहुंचे
वहीं कंस के दरबारी के रूप में दानवों का रूप धरकर आधा दर्जन कलाकार आ गए यहां पर देव और राक्षसों के बीच जमकर वाकयुद्ध हुआ।। इस वाक युद्ध मे वर्तमान परिदृश्य के आधार पर तैयार किये गए संवाद तैयार किये गए जिनका उपस्थित जनो ने खुद लुत्फ उठाया ।।
रात 12 बजे श्री कृष्ण बलराम सहित अन्य ने कंस चौराहे पर बनाये गए मंच पर विराजित कंस के पुतले का पूजन कर मचंबसे नीचे पटक दिया। पुतले के नीचे आते ही गवली समाज के लोगो ने उस पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी और उसे घसीटते हुए वहां से ले गए।
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यह परंपरा उप्र के बाद शाजापुर में शुरू हुई थी जो 268 वर्षों से चली आ रही है ।।
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