हाजी सै. वाजिद अली शाह के आस्ताने पर 40वे पर हुआ कव्वाली का आयोजन – रातभर पढ़े गए सुफियाना कलाम, बड़ी संख्या में शामिल हुए समाजजन
शाजापुर। तु नहीं है मगर तेरी यादे तो हैं, मैं अकेला नहीं तु मेरे साथ है….. इस तरह के सुफियाना कलाम देर रात तक सुनाए गए। जिसे सुनने बड़ी संख्या में देर रात तक समाजजन जुटे रहे और सै. वाजिद अली शाह को याद किया।
गत दिनों सै. वाजिद अली शाह का आकस्मिक निधन हो गया था। श्री वाजिद अली शाह के नगर में कई मुरीद मौजूद हैं, जिनकी उपस्थिति में उनके 40वे पर महूपुरा स्थित आस्ताने पर कव्वाली प्रोग्राम का आयोजन किया गया। यहां बड़ी संख्या में हिन्दू व मुस्लिम समाज के गणमान्य नागरिकों ने उपस्थित होकर उनके आस्ताने पर चादर पेश की। इसके बाद लंगर का आयोजन किया गया। इसके बाद राजगढ़ जिले से आए कव्वालों ने अपने सुफियाने अंदाज में कव्वाली पेश की। जो रात करीब 11 बजे से सुबह तक जारी रही जिसमें बड़ी संख्या में नगरवासी भी शामिल हुए। इस आयोजन में केवल शाजापुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के हर जिले से सै. वाजिद अली शाह के मुरीद इस कार्यक्रम में शामिल हुए और आस्ताने पर मत्था टेका। इस अवसर बाबा के सुपुत्र सज्जादा नशी सै. नौशाद अली, सै. अशरफ अली उर्फ बाबू भैया, युसुफ अली, शराफत अली, जफर अली, जुनैद बाबा, हाजी कमाल भाई, नसीर भाई, दाऊद भाई, आफताब भाई, हनीफ राही, अकरम बाबा, अशफाक भाई गुड्डू, युनूस भाई भुट्टो, गब्बर भाई, साबिर खान, शाहीद खान, पत्रकार फय्याज खान, जाफर खान, वकील पटेल, अनीस पटेल, रज्जाक भाई सहित बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद थे।
बाबा ने सिखाई लोगों को जीने की राह
बाबा के नाम से प्रसिद्ध सै. वाजिद अली शाह केवल मुस्लिम समाज ही नहीं बल्कि हर समाज में उनके चाहने वाले मौजूद हैं। जिनका समाज में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कई पीड़ित और परेशान लोगों की ज़िंदगी में खुशियां लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वह एक आध्यात्मिक गुरु भी थे, उन्होंने धर्म और सामाजिक पहलुओं पर अपने अनमोल वचनों से लोगों को जीने की राह दिखाई।
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