इंसानियत के पैरोकार हज़रत वाजिद अली शाह बावा का इंतक़ाल* *जनाज़े में शामिल हुए हज़ारों मुरीद और चाहने वाले
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शाजापुर:- पटेलवाड़ी स्थित दरगाह हज़रत सैय्यद फ़तेह अली शाह वारसी के जांनशीन और सज्जादानशीन सूफ़ी संत बावा हाजी सैय्यद वाजिद अली शाह वारसी का सोमवार रात 12:45 पर इंतकाल हो गया। वे 90 साल के थे और खांनकाह में ही उन्होंने फ़ानी दुनिया को अलविदा कहा। उनके इंतकाल की खबर मिलते ही क्षेत्र में ग़म की लहर फैल गई। कस्बा व क्षेत्र के लोगों का हुजूम उनके आख़री दीदार के लिए उमड़ पड़ा। शहर के साथ ही दूर दूर से उनके मुरीद व मानने वालों के आने का सिलसिला शुरू हो गया।
हज़रत सूफ़ी संत हाजी सैय्यद वाजिद अली शाह वारसी के इंतक़ाल की ख़बर ने उनके मुरीदों और चाहने वालों के साथ शहरवासियों को भी ग़मज़दा कर दिया। एक बेटे सैय्यद नौशाद अली बावा और 4 बेटियों के वालिद के जनाज़े में उमड़ी हज़ारों लोगों की तादाद बता रही थी कि हज़रत ने अपनी हयात में नेकी, फराक़दीली और इंसानियत से मोहब्बत कर भाईचारे की सूफ़ी परम्परा को आगे बढ़ाकर अपना एक अलग मुक़ाम बनाया था। घर से उठे जनाज़े को सभी जाति, धर्म और मसलक के मानने वालों ने कांधा देकर आख़री सफ़र की मंज़िल तक पहुंचाया। नगर शाजापुर और आसपास के अलावा मप्र, महाराष्ट्र, राजस्थान, यूपी से बड़ी तादाद में बावा के मुरीदों ने मैय्यत में शिरकत की।
पटेलवाड़ी स्थित दरगाह हज़रत सैय्यद फ़तेह अली शाह वारसी प्रांगण में नमाज़ जनाज़ा आली जनाब असद उल्ला खांन साहब ने पढ़ाई और वहीं उन्हे सुपुर्द ए ख़ाक किया गया। उन्होंने दरगाह के सज्जादानशीन रहते क्षेत्र के लोगों के दिलो में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। ज़िले में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए उनको हमेशा याद किया जाएगा। उनके मुरीदों में हर ज़ात बिरादरी और मज़हब के लोग शामिल रहे हैं। आस्ताना से उन्होंने हमेशा एकता और भाईचारे का पैग़ाम दिया और सारी उम्र हर एक मख़लूख़ से मोहब्बत को अपनी पहचान के रूप में स्थापित किया।
हज़रत हाजी सैय्यद वाजिद अली शाह वारसी साहब के इंतक़ाल पर अफ़सोस जताते हुए अंजुमन कमेटी के सदर हाजी नईम क़ुरैशी ने कहा कि हमने ऐसी शख्सियत को खो दिया है जो धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रही। एक महान मानवतावादी का जाना हमारे लिए निजी क्षति है। उन्होंने कहा कि समाज में बावा का योगदान बहुत बड़ा है। उन्होंने कई पीड़ित और परेशान लोगों की ज़िंदगी में खुशियां लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वह एक आध्यात्मिक गुरु भी थे, उन्होंने धर्म और सामाजिक पहलुओं पर अपने अनमोल वचनों से लोगों को जीने की राह दिखाई।
आपको आख़री बिदाई देने पहुंचे शहर काज़ी जनाब मोहसिन उल्ला, नायब काज़ी जनाब रेहमत उल्ला, आलिम जनाब मुबारक़ साहब, मौलाना समद आसी हफ़िज़ दीदार शाह वारसी देवा शरीफ, हफ़िज़ सलीम एहमद साहब, आलिम तोहिद एहमद रज़ा, पीर ए तरीक़त हाफ़िज़ मोहम्मद सिद्दीक साहब, मां कंनकेश्वरी भक्त मंडल के अध्यक्ष पूर्व नपा उपाध्यक्ष मुन्ना भावसार, हाजी अब्दुल ग़फ्फार, समाजसेवी मूसा आज़म खांन, राजेश पारछे, यूनुस भुट्टो, प्रकाश जोशी, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष इरशाद खांन, हाजी छोटे खां, हाजी कमाल खांन, जेनुल बावा, पार्षद शौएब मेव, पार्षद सलमान शैख, पार्षद रईस पठान, मिर्ज़ा गुलाब बेग, एडवोकेट अम्बर वारसी, सलीम एमपीईबी, मिर्ज़ा सलीम बेग, शैख शमीम, शकील वारसी, अशफाक खांन गुड्डू, रेहान खांन, मुज़फ्फ़र खांन, साजिद कुरैशी, आला पटेल, वकील पटेल, समीर पटेल, इमरान पटेल सहित उपस्थित लोगों ने ख़िराज ए अक़ीदत पैश कर गहरा अफ़सोस ज़हीर किया।