बॉलीवुड की जानीमानी पार्श्वगायिका आशा भोंसले आज 90 वर्ष की हो गयी। नौ वर्ष की छोटी उम्र में ही आशा के सिर से पिता का साया उठ गया और परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी को उठाते हुए आशा और उनकी दीदी लता मंगेश्कर ने फिल्मों में अभिनय के साथ साथ गाना भी शुरू कर दिया। सोलह वर्ष की उम्र में अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध जाते हुये उन्होंने अपनी उम्र से काफी बड़े गणपत राव भोंसले से शादी कर ली। हालांकि करियर की तरह उनकी शादी इतनी सफल नहीं हो पाई।
दरअसल गणपत राव भोसले लता मंगेशकर के सेक्रेटरी हुआ करते थे ऐसे में बड़ी बहन भी उनके इस फैसले के खिलाफ थी। उस समय आशा ताई 16 साल की और गणपतराव 31 साल के थे, ऐसे में इस शादी के लिए आशा को अपने परिवार से नाता तोड़ना पड़ा। कहा जाता है कि शादी के बाद से ही आशा भोसले की जिंदगी में पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों ही जगहों पर संघर्ष शुरू हो गया। परिवार के विरोध के बाद भी वो ट्रेन से सफर करते हुए अपनी रिकॉर्डिंग पर जाया करती थी। पर इतना बलिदान देने के बाद भी वह अपनी शादी को बचा नहीं पाई और गणपत राव और आशा की राहें अलग हो गई।
बताया जाता है कि जब आशा प्रेग्नेंट थी तो पति और ससुराल वालों ने उन्हें घर से निकलने के लिए कहा। बड़े भारी मन से आशा भोसले ने अपने दोनों बच्चों को साथ लिया और मां के घर वापस लौट आईं, उसके बाद उन्होंने बेटे को जन्म दिया। उन्होंने अपनी पूरी लाइफ बच्चों की परवरिश करने और अपना करियर बनाने में लगा दी। इसी बीच उनकी जिंदगी में आर.डी. बर्मन आए।
तब तक पंचम दा और आशा भोसले दोनों की ही पहली शादी टूट चुकी थी। पंचम दा अपनी पहली पत्नी रीता पटेल से अलग हो गए थे।3 बच्चों की तलाकशुदा मां आशा की उम्र पंचम से ज्यादा थी जिस वजह से उनकी मां इस रिश्ते के सख्त खिलाफ थीं। बताया जाता है कि जब जब पंचम ने अपनी मां से शादी की अनुमति मांगी तो उन्होंने कहा,-“जब तक मैं जिंदा हूं ये शादी नहीं हो सकती, तुम चाहो तो मेरी लाश पर से ही आशा भोसले को इस घर में ला सकते हो।“ इसके बाद पंचम दा ने अपनी मां से कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहां से चले गए।
पंचम दा न मां के जीते जी ही आशा से शादी की थी लेकिन उस वक्त उनकी मां की ऐसी हालत हो चुकी थी कि वे किसी को भी पहचान नहीं सकती थी। वर्ष 1994 मे आर. डी. बर्मन ने दुनिया को अलविदा कह दिया था, जिससे उन्हें ऐसा सदमा लगा कि उन्होंने गायिकी से मुंह मोड़ लिया। लेकिन उनकी जादुई आवाज आखिर दुनिया से कब तक मुंह मोड़े रहती। उनकी आवाज की आवश्यकता हर संगीतकार को थी। कुछ महीनों की खामोशी के बाद इसकी पहल संगीतकार ए. आर. रहमान ने की।रहमान को अपने रंगीला फिल्म के लिये आशा की आवाज की जरूरत थी। उन्होंने 1995 में ‘तन्हा तन्हा’ गीत फिल्म रंगीला के लिये गाया। आशा के सिने करियर मे यह एक बार फिर महत्वपूर्ण मोड़ आया और उसके बाद उन्होने आजकल की धूम धड़ाके से भरे संगीत की दुनिया में कदम रख दिया।