अनोखा घोटाला! ‘मृतकों’ को बांट दिया चना-मसूर बीज, ढूंढे नहीं मिले रहे 295 किसान; EOW कर रही जांच

मध्यप्रदेश डिंडौरी जिले के मेहंदवानी विकासखंड में किसानों को चना और मसूर के बीज बांटने की सरकारी योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) जबलपुर की जांच में सामने आया कि वर्ष 2021-22 में योजना के तहत बीज वितरण के नाम पर 295 ऐसे किसानों के नाम दर्ज किए गए जो या तो गांव में मौजूद ही नहीं थे, या जिनका अस्तित्व ही नहीं था कुछ तो ऐसे थे जो अभी पैदा भी नहीं हुए.

सबसे हैरत की बात यह है कि इन फर्जी किसानों के नाम पर सरकारी रिकॉर्ड में बीज वितरण दिखा दिया गया. यह घोटाला उस वक्त हुआ जब डिंडौरी जिले में अश्विनी झारिया उपसंचालक कृषि पद पर तैनात थे. वहीं मेहंदवानी विकासखंड में वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के पद पर हेमंत मरावी नियुक्त थे और शाखा प्रभारी का जिम्मा इंदरलाल गौरिया (जो अब सेवा निवृत्त हो चुके हैं) के पास था.

EOW ने दर्ज किया केस

भोपाल स्थित आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को इस मामले की शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें वर्ष 2021-22 में किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग डिंडौरी द्वारा चना और मसूर बीज वितरण में भारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे. जांच का जिम्मा जबलपुर EOW के उप पुलिस अधीक्षक स्वर्ण जीत सिंह धामी को सौंपा गया. जांच में सामने आया कि चना और मसूर बीज के वितरण में व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़ा किया गया.

EOW जांच के अनुसार, मेहंदवानी में कुल 728 वास्तविक कृषकों को 546 क्विंटल चना बीज वितरित किया गया था, लेकिन इसके अतिरिक्त 372 फर्जी किसानों की सूची तैयार कर 276.75 क्विंटल चना बीज का वितरण भी दर्शाया गया. इसी प्रकार 305 वास्तविक किसानों को 121.5 क्विंटल मसूर बीज दिया गया, जबकि 295 फर्जी किसानों के नाम पर 118 क्विंटल मसूर बीज का वितरण कागजों में दर्ज किया गया.

स्टॉक रजिस्टर से खुली पोल

जांच के दौरान स्टॉक रजिस्टर और अन्य दस्तावेजों के अध्ययन से साफ हो गया कि 276.75 क्विंटल चना और 118 क्विंटल मसूर बीज का स्टॉक मेहंदवानी के कृषि अधिकारी कार्यालय में कभी आया ही नहीं. इसके बावजूद इन बीजों को वितरित दिखा दिया गया. फर्जी वितरण की साजिश तत्कालीन उपसंचालक अश्विनी झारिया और शाखा प्रभारी इंदरलाल गौरिया के निर्देश पर रची गई थी, जिसे हेमंत मरावी ने क्रियान्वित किया.

FIR दर्ज, जांच जारी

सभी तथ्यों और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर EOW ने तीनों अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, कूटरचना और सरकारी पद के दुरुपयोग के आरोपों में मामला दर्ज कर लिया है. उप पुलिस अधीक्षक मंजीत सिंह ने बताया कि आरोपी अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर सरकारी बीजों का गबन करने में संलिप्त पाए गए हैं. यह मामला न सिर्फ कृषि विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह योजनाओं का लाभ वास्तविक किसानों तक नहीं पहुंच पाता और बीच में ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है. EOW द्वारा इस पूरे प्रकरण की गहराई से जांच जारी है और आने वाले दिनों में करोड़ो के भ्रष्टाचार खुलने की संभावना है.

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