भारत में पहली टेली-रोबोटिक सर्जरी: दिल्ली के डॉक्टर्स ने 2000KM दूर बैठे मरीज का कर दिया ऑपरेशन

भारत में मेडिकल साइंस ने एक बड़ी ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है. ऐसा पहली बार हुआ जब डॉक्टरों ने 2000 किलोमीटर दूर बैठे मरीज की सर्जरी को टेली-रोबोटिक तकनीक से सफलतापूर्वक किया है. इस ऐतिहासिक ऑपरेशन को दिल्ली के डॉक्टरों ने बेंगलुरु के एक अस्पताल में भर्ती मरीज को रिमोट कंट्रोल रोबोटिक सिस्टम की मदद से किया. यह उपलब्धि मेडिकल साइंस में एक नया मील का पत्थर साबित हो सकती है. अब इस रोबोटिक तकनीक से दूर बैठे मरीज को भी बेहतरीन इलाज मिल सकेगा.

बेंगलुरु के एक अस्पताल में भर्ती दो मरीजों को गंभीर बीमारिया थीं, जिनका सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया. पहले मरीज की भोजन नली (इसोफैगस) की ट्रांसथोरेसिक एसोफैजेक्टॉमी सर्जरी की गई. वहीं दूसरे मरीज की मलाशय कैंसर (टी4 सीए रेक्टम) के लिए पेल्विक एक्सेंट्रेशन सर्जरी को किया गया. दिल्ली में मौजूद डॉक्टरों ने सर्जरी को करने के लिए एडवांस रोबोटिक सिस्टम और फाइबर ऑप्टिक टेक्नोलॉजी का सहारा लिया और ऑपरेशन को बिना किसी रुकावट के पूरा किया.

कैसे किया जाता है ऑपरेशन?

टेली-सर्जरी के दौरान डॉक्टर वीडियो गेम की तरह हाथ में कंसोल पकड़कर बड़े 3डी लेआउट वाले मॉनिटर को देखते हुए ऑपरेशन करते हैं. उनके पास एक खास किस्म का 3डी चश्मा होता है, जिससे उनको ऐसा महसूस होता है जैसे वह ऑपरेशन थियेटर में हैं. डॉक्टर बस अपनी बाहों और उंगलियों को घुमाते रहते हैं और मरीज का ऑपरेशन पूरा हो जाता है. यह रोबोटिक तकनीक उनके हर मूवमेंट को सटीक रूप से मरीज पर लागू करती है.

क्या कहा रोबोटिक सर्जन ने?

इस ऐतिहासिक ऑपरेशन को देश के प्रसिद्ध रोबोटिक सर्जन डॉ.एसपी सोम शेखर ने नेतृत्व किया. उन्होंने कहा रोबोट खुद सर्जरी नहीं करता बल्कि यह डॉक्टरों के कौशल को और बेहतर बनाने में सहयोग करता है. इसे ऐसे समझें कि रोबोट के जरिए एक सर्जन को चार हाथ मिल जाते हैं. उनकी कुशलता दोगुनी हो जाती है. इसका सीधा लाभ मरीजों को बेहतर उपचार और तेज रिकवरी के रूप में दिखाई देता है.

टेली-सर्जरी को मिली मान्यता

हाल ही में केंद्र सरकार ने टेली-सर्जरी को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी है. इससे पहले भारत में कई क्लीनिकल ट्रायल किए गए थे. एक ट्रायल गुरुग्राम और दिल्ली के बीच हुआ था. दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में भर्ती एक मरीज का ऑपरेशन गुरूग्राम से डॉक्टरों ने किया. इन परीक्षणों के सफल परिणामों के आधार पर देश में पहली बार टेली-सर्जरी को आधिकारिक रूप से अपनाया गया है.

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