जम्मू के राजौरी जिले के बधाल गांव में रहस्यमयी बीमारी से अबतक 17 लोगों की मौत हो चुकी है. इस रहस्यमयी बीमारी के कारण गांव में डर का माहौल बना हुआ है. गांव में कोरोना जैसे हालात बने हुए हैं. लगातार मौतों के बाद मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के CM उमर अब्दुल्ला ने गांव का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवारों के साथ मुलाकात की. बीमारी को देखते हुए गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है.
प्रशासन ने गांव के हालात को देखते हुए धारा 163 लागू कर दी गई है. इसके अनुसार अब गांव में कोई भी सार्वजनिक या निजी समारोह आयोजित नहीं कर सकेंगे और न ही किसी कार्यक्रम में भाग ले सकेंगे. इस तरह की पाबंदी कोरोना के समय लगाई गईं थी.
मृतकों में मिले न्यूरोटॉक्सिन के सेंपल
गांव में हो रही मौतों को लेकर कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स ने मृतकों के नमूनों में ‘न्यूरोटॉक्सिन’ पाए जाने की बात कही है. पूरे मामले को लेकर गृह मंत्रालय ने जांच के लिए इंटर मिनिस्ट्रियल टीम बनाई है, इसके साथ ही टीम को गृह मंत्रालय ही लीड कर रहा है. टीम में स्वास्थ्य, कृषि, रसायन और जल संसाधन मंत्रालय के एक्सपर्ट्स शामिल हैं.
मंगलवार को भी एक अन्य युवक की तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ये रहस्यमयी बीमारी ज्यादा बच्चों को ही अपनी चपेट में लेती है.
इलाके में धारा 163 की गई लागू
गांव में लगातार हो रही मौतों के कारण अब पूरे इलाके में धारा 163 लागू कर दी गई है. इससे पहले भारत में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी IPC) की धारा 144 के नाम से जाना जाता था.धारा 163 के तहत देश या किसी भी राज्य में आपातकालीन स्थिति व किसी बड़ी परेशानी पर नियंत्रण किया जा सकता है. इसके तहत सार्वजनिक स्थान पर इकट्ठा होने पर रोक लग जाती है.
बीमारी की गुत्थी उलझी
जम्मू के राजौरी में हुईं इन मौतों का रहस्य अभी तक सुलझ नहीं पाया है. इस रहस्यमयी बीमारी की वजह से एक महीने के अंदर 17 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में ज्यादातर बच्चे हैं. स्वास्थ्य विभाग की कई टीमें इस बीमारी का पता लगाने में लगी हुई हैं. इसका पता लगाने के लिए कई टेस्ट भी किए जा रहे हैं.
क्या होता है न्यूरोटॉक्सिन ?
न्यूरोटॉक्सिन एक केमिकल होता है. जो नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है. इतना ही नहीं नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित कर सकता है. नर्वस सिस्टम को शिथिल भी कर सकता है. यह प्राकृतिक या मानव निर्मित हो सकते हैं. जो खाना, दवाओं और पर्यावरण में पाए जा सकते हैं. ये किसी भी तरीके से इंसान के अंदर एंटर का सकता है.