जामा मस्जिद, शाही ईदगाह, ज्ञानवापी…यूपी की वो मस्जिदें जिनका भविष्य सर्वे से होगा साफ

आगरा की जामा मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह और वाराणसी की ज्ञानवापी…ये यूपी की वो मस्जिदें हैं जिनका भविष्य सर्वे से साफ होगा. शाही ईदगाह और ज्ञानवापी तो इस लिस्ट में पहले से थे, इसमें ताजा नाम आगरा की जामा मस्जिद का जुड़ा है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आगरा में जामा मस्जिद का सर्वेक्षण कराने की मांग वाली याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को एक सप्ताह का समय दिया है.

याचिका में दावा किया गया है कि 1670 में मुगल सम्राट औरंगजेब की सेना द्वारा हमला किए जाने के बाद कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के मुख्य देवता ठाकुर केशव देव की मूर्तियों के अवशेषों को मस्जिद में दफनाया गया था. याचिकाकर्ता ने सर्वेक्षण के लिए एक अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति की भी मांग की थी.

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने एएसआई को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और अगली सुनवाई 12 अगस्त को तय की. अदालत ने हिंदू वादी पक्ष के वकील को मामले में एक पक्ष बनाने के लिए मथुरा की शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति द्वारा दायर एक आवेदन पर कोई भी आपत्ति दर्ज करने के लिए समय दिया. मुकदमे में हिंदू वादी ने दावा किया कि औरंगजेब ने 1670 में केशव देव के मंदिर को ध्वस्त कर दिया था और मूर्ति को आगरा में जामा मस्जिद के नीचे दबा दिया था.

इन मस्जिदों का भी सर्वे

इससे पहले वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे का कोर्ट ने आदेश दिया था. वाराणसी जिला अदालत ने पिछले साल जुलाई में एएसआई को मस्जिद परिसर का सर्वे करने का निर्देश दिया था. पिछले साल चार अगस्त को एएसआई ने कड़ी सुरक्षा के बीच में अपना सर्वे शुरू किया. दरअसल यहां पर ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर विवाद है. हिंदुओं का दावा है कि काशी विश्वनाथ का मूल मंदिर 1669 में औरंगजेब ने तोड़ दिया था और यहां मस्जिद बनवा दी थी. वहीं, मुस्लिम समुदाय इसे मस्जिद ही बताता है.

सर्वे रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 से ज्यादा सबूत मिले हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मस्जिद से पहले यहां एक बड़ा मंदिर था. मस्जिद बनाने के लिए पहले की संरचनाओं को नष्ट किया गया था और उन्हें फिर से इस्तेमाल किया गया था. खुदाई में कई खंडित मूर्तियां भी मिलीं हैं.

मथुरा की शाही ईदगाह

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद का मामला भी कोर्ट में चल रहा है. हिंदू पक्ष का कहना है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है. मस्जिद के एक हिंदू मंदिर होने के स्पष्ट संकेत हैं, जिसमें कमल के आकार का स्तंभ और भगवान कृष्ण से जुड़े हिंदू देवता शेषनाग की एक छवि शामिल है.

इससे पहले अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर विवाद था. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया था. अब यहां राम मंदिर बन गया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बड़ा आधार एएसआई का सर्वे ही था.

2003 में विवादित जगह का सर्वे किया गया था. सर्वे में सामने आया था कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी. एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि खुदाई में जो ढांचा मिला था, वो इस्लामिक ढांचा नहीं था.

मालवा अभीतक की ताजा खबर सीधे पाने के लिए : 
ताज़ा ख़बर पाने के लिए एंड्राइड एप्लीकेशन इनस्टॉल करें :

गंगोत्री, हरिद्वार या बनारस नहीं… यहां होती है गंगा सबसे ज्यादा गहरी, डूब गए तो नहीं मिलेगी लाश     |     कश्मीर के मंदिरों की तरफ कूच करेंगे उत्तराखंड के नागा साधु, क्यों लिया गया फैसला?     |     ‘श्रींजय की मालिश कर रहे थे दो लोग…’, बेटे की रहस्यमीय मौत पर दिलीप घोष की पत्नी ने खोला राज     |     दूल्हे से दो महीने तक दूर रही दुल्हन, ससुराल आई तो सुहागरात पर प्यार से बोली- आप सो जाओ… फिर कर गई ये कांड     |     ‘विजय शाह मुर्दाबाद’, कर्नल सोफिया कुरैशी पर कमेंट करने वाले मंत्री के घर कांग्रेस नेताओं का प्रदर्शन, नेमप्लेट पर कालिख पोती     |     सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में मुरलीधर कृपा विद्या मंदिर मक्सी के विद्यार्थियों ने फिर लहराया परचम     |     कलेक्टर सुश्री बाफना ने टप्पा मक्सी कार्यालय का निरीक्षण किया     |     नागरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन की पूर्व तैयारियों के संबंध में समीक्षा बैठक संपन्न     |     3 बच्चियों को जहर देने के बाद पिता ने खुद भी पिया! एक ही परिवार के चार लोगों की मौत से फैली सनसनी     |     कर्नल सोफिया पर भाजपा मंत्री की विवादित टिप्पणी पर भड़के पटवारी, बोले- सरकार विजय शाह को लेकर चुप क्यों हैं?     |