अरे, इतने तरह के भी होते हैं आम, घर बैठे हो जाती है खेत की निगरानी, कृषि उद्योग समागम में उपकरण देख किसान हुए हैरान
भोपाल/मंदसौर : मध्यप्रदेश के किसानों-निवेशकों ने 3 मई को देखा कि प्याज-लहसुन की बुआई की नई तकनीक क्या है, किस-किस तरह के आम की किस्में हैं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित उपकरण कौन-कौन से हैं, उर्वरक संयंत्र कैसे काम करते हैं? ये सब देखकर उन्हें नई खेती की तकनीक की जानकारी लगी।
इस जानकारी के बाद किसानों ने कहा कि इन तकनीकों से खेती-किसानी में क्रांति आ जाएगा। मौका था मंदसौर जिले के सीतामऊ में आयोजित कृषि उद्योग समागम-2025 का। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस समागम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में खेती से जुड़ी नई तकनीक, आधुनिक यंत्रों, उपकरणों के स्टॉल लगाए गए। इन उपकरणों में ट्रैक्टर, हैप्पी सीडर, प्याज-लहसुन बुआई यंत्र, ड्रोन, एआई आधारित उपकरण, पावर स्प्रेयर, सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र ड्रिप, मिनी स्प्रिंकलर, सेंसर-आधारित उर्वरक संयंत्र, कृषि एवं उद्यानिकी की नवीनतम-उन्नत किस्में, पॉली/नेट हाउस, मल्चिंग, पौंड लाइनिंग, जैविक-नैनो फर्टिलाइजर, कस्टमाइज्ड माइक्रो न्यूट्रिएंट्स, गौशाला उत्पाद, दुग्ध एवं हर्बल उत्पाद, पशु आहार, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, बायो-फ्लॉक्स, टैंक- केज कल्चर मॉडल, एक्वेरियम डिस्प्ले शामिल थे।
जैविक खेती से हो रहा फायदा
किसानों ने देखा कि नई तकनीक की मदद से उन्नत खेती की जा सकती है। मोबाइल से खाद-पानी की मात्रा सेट हो रही है। इन तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे किसानों ने अपने साथियों को बताया कि वह शासन की योजनाओं का लाभ लेकर खेती कर रहे हैं।
कई किसानों ने जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए पारंपरिक खेती छोड़ दी। वे जैविक फसलें उगा रहे हैं। आगर मालवा से आए किसान ने बताया कि वह सभी प्रकार की सब्जियां-फल और लहसुन-प्याज की खेती भी जैविक पद्धति से कर रहे हैं।
इस तरह से उन्हें भरपूर आमदनी हो रही है। इस प्रदर्शनी में धार से आए गौरव बगड़ ने बताया कि वह ग्राफ्टिंग विधि से पांच नई वैरायटी के आम के पौधे तैयार कर रहे हैं। वे इन आम के पौधों की सप्लाई कर्नाटक और महाराष्ट्र तक कर रहे हैं। इनमें मियांजाकी, सोनपरी और हाथीझोला जैसे आमों की नई वैरायटी शामिल हैं।
इतना हो रहा फायदा
गौरव ने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर उन्होंने परंपरागत खेती छोड़कर यह नया बिजनेस स्टार्ट किया। समागम में लगी इस प्रदर्शनी में कई प्रकार के आधुनिक कृषि उपकरणों की भी जानकारी दी गई। किसानों ने साथियों को बताया कि वे मोबाइल के माध्यम से घर बैठे खेतों की निगरानी कर रहे हैं।
एक क्लिक से अपने फार्म और पंप की स्थिति पर वास्तविक समय पर अपडेट भी प्राप्त कर रहे हैं। मशीनों के माध्यम से किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रख रहे हैं। साथ ही, संतुलित मात्रा में और सही समय पर खाद और पानी दे पा रहे हैं। इससे किसानों की उपज में 20% तक की वृद्धि हो रही है, वहीं लागत में 20% की कमी आई है।
उर्वरक की खपत में भी बचत
किसानों ने बताया कि एनपीके उर्वरक की खपत में भी 50% की बचत हुई है। वहीं, ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से 50% जल की बचत भी हो रही है। प्रदर्शनी में लगाए गए निगरानी उपकरणों के माध्यम से जलवायु, मौसम और जल और उर्वरक के सटीक प्रयोग के बारे में जानकारी मिल रही है। इसमें खर्च भी बहुत कम हो रहा है।
इस प्रदर्शनी में सौर ऊर्जा से चलने वाले सोलर पंप की प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसके जरिये किसान सौर ऊर्जा के जरिये सिंचाई कर सकते हैं। इस प्रदर्शनी में किसानों को मछली पालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की पद्धतियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।