चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने और उसमें सुधार के लिए एक नया कदम उठाया है. चुनाव आयोग ने दशकों से चली आ रही डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र समस्या को खत्म करने के लिए तीन महीने की समय सीमा तय की है. चुनाव आयोग के मुताबिक, हर मतदाता के पास केवल एक वैध पहचान पत्र होना चाहिए. चुनाव आयोग की ओर से यह कदम तब उठाया है जब उन्हें पता चला कि आवंटन प्रक्रिया में गड़बड़ियों के कारण कुछ मतदाताओं को डुप्लिकेट मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर जारी किए गए थे.
यह समस्या 2000 से चली आ रही है, जब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में EPIC नंबर शुरू किए गए थे. कुछ निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों ने सही नंबरिंग प्रणाली का पालन नहीं किया, जिसके कारण डुप्लिकेट नंबर बन गए.
चुनाव आयोग ने डुप्लीकेट नंबर वाले मतदाताओं को दूसरे राष्ट्रीय EPIC नंबर जारी करने का फैसला किया है. नए मतदाताओं को भी आगे की डुप्लिकेसी को रोकने के लिए अलग-अलग नंबर दिए जाएंगे. यह प्रक्रिया तीन महीने के भीतर पूरी हो जाएगी. आयोग ने कहा कि इस कदम से पारदर्शिता बढ़ेगी और मतदाता सूची में त्रुटियों को रोका जा सकेगा.
99 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड वोटर्स
भारत के चुनावी डेटाबेस में 99 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड वोटर्स शामिल हैं. रोल को अपडेट करना एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जिसकी देखरेख जिला चुनाव अधिकारी और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी करते हैं. इसमें जनता और राजनीतिक दलों की भागीदारी होती है.
एसएसआर हर साल अक्टूबर और दिसंबर के बीच होता है. इसमें अंतिम रोल जनवरी में प्रकाशित किए जाते हैं. चुनाव वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में, चुनाव से पहले एक एडिशनल संशोधन किया जाता है. एसएसआर एक समावेशी प्रक्रिया है, जो एक सहभागी दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है.
यह सुनिश्चित करती है कि मतदाता सूची मतदाताओं की सटीक सूची को प्रेजेंट करती है. इसमें बूथ लेवल अधिकारी, बूथ लेवल एजेंट, सत्यापन और शिकायत समाधान, मसौदा मतदाता सूची, दावे और आपत्तियां, अपील प्रक्रिया को भी शामिल किया गया है.