अमेरिका की मदद न मिले तो क्या अपने दम पर ईरान से टकरा पाएगा इजराइल?

ईरान ने हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिया की हत्या के बाद इजराइल पर जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई है. ईरान के हमले के डर से इजराइल कई तैयारी कर रहा है, नेताओं को सुरक्षित रखने के लिए बंकर्स तैयार हो रहा है, एयर डिफेंस को और मजबूत किया जा रहा है. वहीं कुछ लोग इजराइल में इस बात की भी वकालत कर रहे हैं कि इजराइल को ईरान हिजबुल्लाह के हमले से पहले ही उन पर हमला कर देना चाहिए, लेकिन ये इतना आसान नहीं है.

इजराइल रिजर्व जनरल इत्ज़ाक ब्रिक ने इसको लेकर चिंता जाहिर की है. इत्ज़ाक ब्रिक ने कहा कि अगर इजराइल ईरान या हिजबुल्लाह के खिलाफ उनके हमले से पहले ही बड़ी कार्रवाई कर देता है, तो एक बड़ा क्षेत्रीय युद्ध छिड़ सकता है. ब्रिक ने कहा कि इजराइल बिना अमेरिका की मदद के क्षेत्रीय युद्ध का मुकाबला नहीं कर सकती है.

ईरान और हिजबुल्लाह ने रेसिस्टेंस नेताओं की हत्या के बाद मजबूत और प्रभावी जवाब देने की कसम खाई है. अमेरिका लगातार अपने रीजनल अलायंस के जरिए से स्थिति को शांत करने की कोशिश कर रहा है. ब्रिक ने कहा कि हाल के दिनों में कुछ लोग इजराइली सेना की स्थिति को समझने में विफल रहे हैं, वे सुझाव दे रहे हैं कि ईरान और हिजबुल्लाह के हमले से पहले ही इजराइल को उन पर हमला कर देना चाहिए.

बिना अमेरिका की मदद के हमले रोकना मुश्किल

अप्रैल में ईरान की ओर से किए गए रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन के हमले अमेरिका ने अपने अलायंस की मदद से इन हमलों को नाकाम किया था. अक्टूबर में युद्ध शुरू होने के बाद से अमेरिका ने इजराइल को 11 बिलियन डॉलर की सैन्य मदद की ही, इसके अलावा इजराइल सेना के ऊपर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों के बीच अमेरिका ने मंगलवार को 20 बिलियन डॉलर के हथियार इजराइल को देने का ऐलान किया है.

इजराइल सेना के पास ज्यादातर हथियार अमेरिकी निर्मित हैं. हिजबुल्लाह और हमास की ओर से आने वाले रॉकेट्स को इजराइल अमेरिकी एयर डिफेंस उपकरणों और आयरन डोम से रोकने में कामयाब रहा है. यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अमेरिका ही इजराइल प्रतिबंधों और आलोचनाओं से बचाता आया है. ईरान और हिजबुल्लाह के हमले की धमकी के बीच इजराइल के लिए अमेरिका का साथ बेहद महत्वपूर्ण है.

हमलों से इजराइली इंफ्रास्ट्रक्चर को बचाना मुश्किल

ब्रिक ने चैनल 12 को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि अगर इजरायल ने युद्ध छेड़ दिया तो उसके शहरों, बिजलीघरों, गैस प्लेटफार्मों, ट्रांसपोर्ट डिपो, इंडस्ट्रीज और सैन्य ठिकानों पर रोज हजारों मिसाइलों और ड्रोनों से हमले होंगे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इजराइली सेना में क्षेत्रीय युद्ध का जवाब देने की क्षमता नहीं है और न ही ईरान हिजबुल्लाह और इसके प्रॉक्सीज के हमलों से देश के बुनियादी ढांचे बचाने की.

उन्होंने कहा कि अकेले इजराइली सेना के पास क्षेत्रीय युद्ध को जीतने की रणनीति नहीं है, भले ही हम हमला पहले करें और इसलिए हमें अमेरिकी समर्थन की जरूरत है. ब्रिक ने इस बात पर भी जोर दिया कि इजराइल अमेरिकी सहायता के बिना युद्ध को ना झेल सकता है न ही जीत.

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