शाजापुर
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उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ. एके सिंह ने लंपी स्किन डिसीज बीमारी के प्रकोप को देखते हुए पशुपालकों से अनुरोध किया है कि वे पशुओं में बीमारी के शुरूआती लक्षण जैसे कि हल्का बुखार, पूरे शरीर में चमड़ी पर उभरी हुई गठाने दिखाई देने पर निकट्स्थ पशु चिकित्सा संस्था एवं पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचित करें।
उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ. एके सिंह ने बताया कि लंपी स्किन डिसीज बीमारी के प्रकोप से रतलाम, उज्जैन, नीमच, मंदसौर जिले के एवं पडौसी राज्य राजस्थान एवं गुजरात के पशु प्रभावित है। लंपी स्किन डिसीज पशुओं की एक विषाणुजनित बीमारी है जो कि मच्छर, मक्खी एवं टिक्स (चिंचोडी/चीचड़े) आदि के काटने से एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है। बीमारी में अधिकतर संकमित पशु 2 से 3 सप्ताह में ठीक हो जाते है एवं मृत्युदर 1 से 5 प्रतिशत है।
जिले में पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर जागरूकता अभियान चला रहे है। अधिक जानकारी हेतु जिला नोडल अधिकारी डॉ. प्रतिभा मालवीय मो. न. 7566508279 पर संपर्क कर सकते है। बीमारी से सुरक्षा एवं बचाव के उपाय के लिए पशु-पालक संक्रमित पशु को अन्य स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करे। पशुशाला, घर आदि जगह पर साफ सफाई, जीवाणु विषाणु नाशक रसायन जैसे फिनाईल, फोर्मेलिन एवं सोडियम हायपोक्लोराईड आदि से करे। वर्तमान में पशु क्रय नहीं करें (विशेषतौर पर राजस्थान एवं गुजरात के पशु)। पशुशाला के आसपास पानी जमा नहीं होने दें। पशुपालकों को शाम के समय पशु शेड में नीम के पत्तों से धुआं करना चाहिये जिससे मक्खी-मच्छर से पशुओं का बचाव हो। साथ ही पशुपालक अपने शरीर की साफ सफाई का भी ध्यान रखे।
गौशालाओं में शेड की नियमित साफ-सफाई कराएं एवं फिनाईल का स्प्रे करें। गौशाला में आने वालो नये पशुओं को 10 से 15 दिनों के लिये पृथक रखें। पशु की मृत्यु होने पर उसे गहरा गढ्ढा खोदकर चुना एवं नमक डालकर शव निष्पादन करें। शव निष्पादन स्थल जल स्त्रोत एवं आबादी से दूर होना चाहिये।
Department of Animal Husbandry, Madhya Pradesh
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