मोहर्रम के सातवें दिन अकीदत के साथ निकाला मेंहदी का जुलूस महिलाओं ने लगाए मन्नत के छापे, जगह-जगह पिलाया दूध और शरबत
शाजापुर। मोहर्रम की सात तारीख को शहर में मातमी धून पर मेंहदी का जुलूस स्थानीय महूपुरा क्षेत्र से मुस्लिम समाजजनों द्वारा पूरी अकीदत के साथ निकाला गया। हजरत कासिम की याद में निकाले गए इस मेंहदी के जुलूस में सैकड़ोंं मुस्लिमजन या अली, या हुसैन के नारे लगाते हुए शामिल हुए। कोरोनाकाल के बाद दो वर्ष पश्चात मोहर्रम पर्व के सातवें दिन मुस्लिम समाज के लोगों ने शहर में मेंहदी का जुलूस निकाला और सबिल याने राहगीरों को दूध और शरबत पिलाया। जुलूस महूपुरा लश्करवाड़ी से शनिवार दोपहर 3 बजे पूर्व विधायक प्रतिनिधि सरदार मूसा आजम खान के मार्गदर्शन में शुरू हुआ जिसमें पटेलवाड़ी, डांसी के अखाड़े भी बिना शस्त्र के शामिल हुए। जुलूस शहर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ बड़ वाले बाबा के यहां पहुंचा, जहां पर फातेहा पढक़र रेवड़ी का तबर्रूक बांटा गया। इसी तरह स्थानीय मोहल्ला दायरा से भी मेहंदी का जुलूस निकाला गया, जो छोटा चौक पहुंचा और दुलदुल को मेंहदी चढ़ाई। आल इंडिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के जिलाध्यक्ष सज्जाद अहमद कुरैशी ने बताया कि इस्लामी साहित्य के अध्यन से पता चलता है कि जेहाद का मतलब सिर्फ लड़ाई नहीं बल्कि ऐसे नियमों और बुराईयों से जंग है जो इंसान और इंसानियत के खिलाफ हो। करबला के जंग के जरिये पैगम्बर के नवासे ने पूरी दुनिया को यह पैगाम दिया कि जालिम कितना भी ताकतवर हो उसकी नाइंसाफी को स्वीकार नही किया जाना चाहिए। कुरैशी ने बताया कि मोहर्रम के सातवें दिन मेंहदी का जूलस निकाला जाता है, क्योंकि करबला के मैदान में हजरत कासिम इसी दिन शहीद हुए थे और वे दूल्हा बने हुए थे। उल्लेखनीय है कि मोहर्रम की शुरूआत के साथ ही मुस्लिम समाज के लोग शोहदा-ए-करबला की याद में मशगुल हैं और पूरी शिद्दत से अल्लाह की इबादत की जा रही है। इसीके साथ शहीदे करबला की याद में रोजे रखने के अलावा हलीम का लंगर भी लूटाया जा रहा है। वहीं सबिल लगाकर लोगों को दूध और शरबत पिलाया जा रहा है। इसीके साथ पुरानी परंपरानुसार इस वर्ष भी मन्नत के छापे लगाए गए। मान्यतानुसार बुर्राक और दुलदुल के समीप मेंहदी के छापे लगाने से मन्नतें पूरी होती हैं, जो लोग मन्नत करते हैं वे उल्टे छापे लगाते हैं और मन्नत पूरी होने पर सीधे छापे लगाए जाते हैं। इस वर्ष भी सीधे और उल्टे छापे लगाकर रेवड़ी एवं मलिदे का तबर्रूक बांटा गया।
बिना शस्त्र के निकाला जुलूस-
गौरतलब है कि प्रशासन ने जुलूस के दौरान किसी भी तरह के शस्त्रों के प्रदर्शन पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई है, जिसके चलते इस बार भी समाज के लोगों ने मेहंदी के जुलूस में शस्त्रों को शामिल नही किया। महूपुरा से निकले मेहंदी के जुलूस का एबी रोड पर थाने के पीछे स्थित बड़ वाले बाबा की दरगाह पर समापन हुआ। इस मौके पर मोहर्रम कमेटी सदर इमरान खरखरे, कमेटी के खजांची अकरम ठेकेदार, जनरल सेकेट्री डॉक्टर मौजूद मोहम्मद, मीडिया प्रभारी शफीक खान, सरपरस्त मिर्जा सलीम बेग, शेख शमीम, असलम शाह, इरशाद खान, मिर्जा सोहराब बेग, अखलाक हुसैन मदनी, पटेलवाड़ी के अकील पटेल, आला पटेल आदि मौजूद थे।
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