मुख्यमंत्री श्री Shivraj Singh Chouhan ने पंचमहाभूत की अवधारणा पर पर्यावरण का देशज विमर्श स्थापित करने हेतु उज्जैन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लिया
मुख्यमंत्री श्री Shivraj Singh Chouhan ने पंचमहाभूत की अवधारणा पर पर्यावरण का देशज विमर्श स्थापित करने हेतु उज्जैन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी “सुजलाम्” को संबोधित करते हुए कहा कि जल ही अमृत है। भारतीय संस्कृति एकात्मवादी है। हजारों साल पुराना ज्ञात इतिहास है हमारा।
हमारे ऋषियों ने कहा-
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।। सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें। सुखी रहना है। मैं के साथ हम भी है इसलिए समाज के सुख का भी विचार करो।
पेड़, पौधे, नदियां, हमने इन्हें जल वाहिकाएं नहीं मां माना है। जब भी पूजा का कोई काम होता है तो कलश पूजा होती है। सबका विचार करना है। गहराई में जाओ, पंचभूत की बात होती है।
धरती, मिट्टी, अग्नि, जल, वायु पांचों तत्व का संतुलन नहीं रहेगा तो धरती का संतुलन भी बिगड़ेगा। भारतीय चिंतन कहता है प्रकृति का शोषण मत करो, दोहन करो। दोनों में अंतर है।
अनेक जागरूकता के कार्यक्रम चल रहे हैं। अनेक प्रकल्प प्रारंभ हुए, अनेक योजनाएं बनीं। मध्यप्रदेश में हमने प्रयास किया। 4 लाख जल संरचनाएं बनाई हैं पूरे मप्र में, खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में।
जन अभियान परिषद ने 313 नदियों को पुनर्जीवित करने का काम हाथ में लिया है।
मध्यप्रदेश में पांच संकल्प हम कराते हैं। एक पानी बचाओ, कम से कम जल का उपयोग कैसे कर सकते हैं। कम पानी में कैसे बेहतर सिंचाई हो, अब हम तरीके बदल रहे हैं।
दूसरा पेड़ बचाओ, तीसरा बिजली बचाओ- ऊर्जा साक्षरता अभियान हम चला रहे हैं। बेटी बचाओ और नशा मुक्त समाज बनाओ।
#JansamparkMP