मेडिकल कॉलेजों व डीकेएस में फ्री डायलिसिस लागू नहीं, आयुष्मान कार्ड से लेते हैं 1680 रुपए

रायपुर: सरकारी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों जैसे रायपुर में डॉ. अंबेडकर अस्पताल, डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में डायलिसिस मुफ्त नहीं है, बल्कि मरीजों के आयुष्मान कार्ड से पैसे काटे जा रहे हैं।छत्तीसगढ़ में मुफ्त डायलिसिस योजना चल रही है, लेकिन गंभीर मामला ये है कि यह सिर्फ जिला अस्पतालों में ही लागू है। किडनी के गंभीर बीमारों को राहत देने के लिए प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस मुफ्त करने की योजना चल रही है। लेकिन भास्कर की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि डायलिसिस में सरकारी तौर पर ही दो सिस्टम काम कर रहे हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों जैसे रायपुर में डॉ. अंबेडकर अस्पताल, डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में डायलिसिस मुफ्त नहीं है, बल्कि मरीजों के आयुष्मान कार्ड से पैसे काटे जा रहे हैं।केवल प्रदेश के जिला और सिविल अस्पतालों में ही डायलिसिस मुफ्त है, लेकिन बहुत सीमित जगह जहां डायलिसिस के लिए मशीनें लगाई गई हैं। स्वास्थ्य विभाग पूरे प्रदेश में डायलिसिस के लिए 33 में से 26 जिलों में सेटअप लगा चुका है। जिलों में डायलिसिस की 5 से लेकर 20 मशीनें तक लगाई गई हैं। एक मशीन क्षमता के अनुसार 25 लाख से 75 लाख रुपए तक की है। लेकिन ज्यादातर डायलिसिस उन सरकारी अस्पतालों में हो रहे हैं, जहां कार्ड से शुल्क लिया जा रहा है।राजधानी में दो सरकारी सेटअप… एक निशुल्क और बाकी सशुल्क1. डीकेएस-अंबेडकर अस्पतालकिडनी मरीजों की डायलिसिस के लिए प्रदेश का सबसे बड़ा 58 मशीनों का सेटअप सरकारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल डीकेएस में है। यहां बड़ी संख्या में मरीज हैं, लेकिन एक बार के डायलिसिस के लिए खूबचंद बघेल आयुष्मान कार्ड से 1,680 रुपए काटे जा रहे हैं। कई मरीजों को हफ्ते में 3 बार तक डायलिसिस लगता है, अर्थात उनके कार्ड से एक माह में ही 20 हजार रुपए से अधिक राशि खत्म हो रही है। इसी तरह, अंबेडकर अस्पताल में हर दिन औसतन तीन से चार ऐसे गंभीर मरीज आ रहे हैं जिनको डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। वहां भी आयुष्मान कार्ड से पैसे काटे जा रहे हैं।2. जिला अस्पताल पंडरी में फ्रीरायपुर के ही पंडरी जिला अस्पताल में डायलिसिस के लिए 10 मशीनों का सेटअप है। यहां के डॉक्टरों के मुताबिक अस्पताल में तीन शिफ्ट में हर दिन 50 से अधिक डायलिसिस किया जा सकता है। लेकिन नहीं के बराबर मरीज अा रहे हैं, क्योंकि जानकारी ही नहीं है। जबकि शहर में केवल यही अस्पताल है, जहां डायलिसिस के पैसे नहीं लिए जा रहे हैं। बीते एक माह में यहां 212 से अधिक डायलिसिस किए गए। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा फ्री डायलिसिस स्कीम चलाई जा रही है। उसमें जिला अस्पताल तो शामिल किया गया है, लेकिन डीकेएस अस्पताल में ये स्कीम लागू नहीं हो पाई है।जिला अस्पतालों में डायलिसिसमरीजों की संख्या – 1075जिले जहां सुविधा – 26सालभर में – 35 हजार​​​​​​​डीकेएस में डायलिसिसरजिस्टर्ड मरीज – 200 प्लसएक साल में – 11,636कार्ड से शुल्क – 1.95 करोड़​​​​​​​मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालसालभर में – 2200हर माह – 180 से ज्यादाकार्ड से शुल्क – 38 लाख रु​​​​​​​केस 1 – कार्ड में पैसे नहीं बचेरायपुर के फूल चौक इलाके में रहने वाले मध्यमवर्गीय परिवार में 72 वर्षीय मदन के परिवार को आयुष्मान योजना में 50 हजार रुपए तक के इलाज की सुविधा है। उनका महीने में 10 बार डायलिसिस हो रहा है, इसलिए कार्ड में परिवार के अन्य सदस्यों के लिए रकम नहीं बचती।केस 2 – जमा पूंजी निकल गईरायपुर श्यामनगर के 62 वर्षीय व्यवसायी सुरेंद्र का सप्ताह में दो बार डायलिसिस हो रहा है। पिछले साल नागपुर जाते वक्त सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। कार्ड के पैसे डायलिसिस में खत्म हो गए, इसलिए घायल होने के बाद इलाज में पूरी जमा पूंजी निकल गई।केस 3- पांच माह में बैलेंस खत्मडीकेएस में दुर्ग से आकर डायलिसिस करवाने वाली महिला के पति विवेक ने बताया कि महीने में छब बार डायलिसिस होता है। कार्ड पर 50 हजार के इलाज की सुविधा मिल रही है। छह बार डायलिसिस में हर माह 10 हजार रुपए से अधिक कट जाते हैं। पांच महीने में राशि शून्य हो गई।​​​​​​​स्वास्थ्य विभाग ने डायलिसिस फ्री कर रखा है। जिला अस्पतालों में सरकारी हेल्थ कार्ड से कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है, इसलिए वहां जाएं। -डॉ. सुरेंद्र पामभोई, जेडी एवं नोडल-एनएचएम​​​​​​​डीकेएस आटोनॉमस है और अपने नियमों से काम करता है। आयुष्मान में प्रति डायलिसिस 1,680 रु. मरीजों के कार्ड से ले रहे हैं। – हेमंत शर्मा, उपअधीक्षक-डीकेएस रायपुर​​​​​​​

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