भाजपा विधायक ने अपनी ही सरकार पर खड़े किए सवाल, कहा – हम आरक्षित सीट के प्रतिनिधि हैं इसलिए कोई नहीं सुन रहा
गुना। मध्य प्रदेश के गुना को नगर निगम बनाने की प्रक्रिया के बीच विधायक पन्नालाल शाक्य अपनी ही सरकार और प्रशासन से नाराज हो गए हैं। गुना शहर के नजदीक स्थित हरिपुर ग्राम पंचायत को नगर निगम से बाहर रखने की चर्चा को संज्ञान में आने पर पन्नालाल शाक्य ने जिला प्रशासन से दो टूक कह दिया है कि या तो हरिपुर को नगर निगम में शामिल किया जाए या फिर गुना को नगर निगम ही न बनाया जाए। गुना विधायक ने सरकार से अपनी नाराजगी का भी इजहार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि हम आरक्षित सीट के प्रतिनिधि हैं, इसलिए हमारी कोई सुन नहीं रहा है। हम पहले भी गुना को संभाग बनाने और गुना में इनकम टैक्स ऑफिस खोलने का प्रस्ताव दे चुके हैं, लेकिन इन प्रस्तावों को दबा दिया गया और यह बार-बार हो रहा है।
विधायक पन्नालाल शाक्य ने नगर निगम बनाने की शुरुआती प्रक्रिया से लेकर अब तक की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि उनके पूर्व कार्यकाल में गुना को नगर निगम बनाने की घोषणा पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लाल परेड मैदान में की थी। इसके बाद जिला प्रशासन ने प्रक्रिया शुरु की। नगरपालिका ने 36 गांवों की सूची दी, जिसके आधार पर नक्शा तैयार किया गया। तत्कालीन कलेक्टर ने इस नक्शे को शानदार बताया। जिसमें हरिपुर भी शामिल था। अब नक्शे से हरिपुर पंचायत को हटाने की बात हो रही है। प्रशासन की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो किसी की असहमति से उस पंचायत को नगर निगम में नहीं मिलाना चाहते। यदि ऐसा है तो मैं भी असहमति देता हूं कि गुना को नगर निगम न बनाया जाए। इसलिए मैं सीएम और प्रभारी मंत्री को मैसेज करूंगा, जहां तक लडऩा है वहां तक लड़ाई लड़ूंगा।
पन्नालाल शाक्य से पत्रकारों से पूछा कि उनके हिसाब से ऐसी क्या वजह हो सकती है कि हरिपुर को नगर निगम के नक्शे से हटाया जा रहा है? इस पर विधायक ने बताया कि हरिपुर के ग्रामीणों को यह कहकर भड़काया जा रहा है कि नगर निगम बनने से हरिपुर में विकास नहीं होगा। वे लाड़ली बहना, किसान सम्मान निधि, आयुष्मान योजना, मुफ्त का अनाज अच्छी तरह समझते हैं, नगर निगम के बारे में किसने उकसाया यह पता करना होगा। विधायक ने दावा किया है कि हरिपुर को नगर निगम बनाने की बात पर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सहमत थे।