शाजापुर
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जिले में फसल की कटाई उपरांत बचे हुए अवशेषों (नरवाई) को खेतों में जलाए जाने से मानव जीवन और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री दिनेश जैन ने प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है।
जारी आदेशानुसार किसानों द्वारा फसल काटने के बाद खेत को साफ करने की दृष्टि से खेतो में आग लगा दी जाती है, जिसे नरवाई जलाना कहते है। यह चलन कई बार लोक परिशांति भंग करने की स्थिति उत्पन्न करता है तथा मानव जीवन और स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। साथ ही इससे आसपास की फसलों और मकानों को आग के कारण नुकसान पहुंचता है, उससे किसी आपदा की स्थिति की आशंका बनी रहती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति का ह्रास होकर खराब हो जाती है। नरवाई में आग लगाने के कारण आसपास के खेत जिनमें गेहूं, चना, मसूर आदि की फसल खड़ी हुई है तथा निकट के आबादी क्षेत्र में सम्पत्ति को नुकसान होने की घटनाएं पूर्व में भी हो चुकी है तथा वर्तमान में भी होने की संभावना है। इन सभी तथ्यों से मुझे यह समाधान हो गया है कि उपरोक्त स्थिति में किसी आपदा की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 30 उपधारा (X) (XVIII) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिला दण्डाधिकारी एवं कलेक्टर श्री दिनेश जैन ने अपने अधिकार क्षेत्र संपूर्ण जिला शाजापुर के लिए यह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है कि कोई भी व्यक्ति नरवाई नहीं जलाएगा अथवा खेत में आग नहीं लगाएगा। यह आदेश कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र में निवास करने वाले सभी व्यक्तियों तथा अस्थायी तौर से आने-जाने वाले समस्त व्यक्तियों पर लागू होगा। यदि कोई व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन करता है तो उसके विरूद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 से 60 के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेग। यह आदेश आज 01 मार्च 2023 से 31 मई 2023 तक के लिए प्रभावशील रहेगा।
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