घर बनाना अब होगा और महंगा, सीमेंट कंपनियां कीमतों में कर सकती हैं वृद्धि, क्या है इसकी वजह?

सीमेंट बनाने की लागत में इजाफा हुआ है और बढ़ी इनपुट कॉस्ट की भरपाई के लिए कंपनियां थोड़ा बोझ ग्राहकों की तरफ डाल सकती हैं. एक ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों पर खर्च बढ़ा रही है जिससे सीमेंट कंपनियों को सपोर्ट मिलेगा.

नई दिल्ली. अगर आप अपना घर बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है. कोविड-19 का प्रभाव बहुत कम होने और अब मॉनसून का सीजन खत्म होने के बाद कंस्ट्रक्शन की गतिविधियों में एक बार फिर तेजी दिखाई दे रही है. इसकी वजह से सीमेंट की मांग में तेजी आई है और कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका बढ़ गई है.

आईआईएफएल सिक्योरिटीज का कहना है कि सीमेंट कंपनियां अगले दिसंबर तक अलग-अलग चरणों में कीमतें 6-8 फीसदी बढ़ा सकती हैं. दरअसल, सीमेंट बनाने की लागत में इजाफा हुआ है और बढ़ी इनपुट कॉस्ट की भरपाई के लिए कंपनियां थोड़ा बोझ ग्राहकों की तरफ डाल सकती हैं.

सीमेंट की मांग में तेजी
खबर के अनुसार, डालमिया, जेके सुपर सीमेंट और अल्ट्राटेक ने एक बैठक में इस बात का जिक्र कि सितंबर तिमाही में उनकी कमाई प्रभावित हुई है. ब्रोकरेज फर्म जेफरीज का कहना है कि सितंबर तिमाही में सीमेंट की औसत कीमतें 5.5 फीसदी कम रही लेकिन अब इसमें उछाल आएगा. ब्रोकरेज का कहना है कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों पर खर्च बढ़ा रही है जिससे सीमेंट कंपनियों को सपोर्ट मिलेगा. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने भी मांग में तेजी की संभावना जताते हुए कीमतें बढ़ने की बात कही है.

घर बनाना होगा महंगा
अगर सीमेंट की कीमतों में वृद्धि होती है तो ग्राहकों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है. एक तो नया घर बनाने के लिए लागत बढ़ जाएगी. दूसरा, इसी बढ़ी हुई लागत का हवाला देकर बिल्डर्स फ्लैट भी और महंगे कर सकते हैं. रेपो रेट बढ़ने के कारण पहले से ही ग्राहकों पर अधिक ईएमआई का दबाव है. ऐसे में सीमेंट की कीमतों का ऊपर जाना उन्हें परेशानी में डाल सकता है.

ऑफिस स्पेस की मांग में तेजी
देश के सात प्रमुख शहरों में सितंबर के दौरान सभी श्रेणियों की इमारतों में पट्टे (लीज) पर कार्यालय स्थल की कुल मांग सालाना आधार पर 37 प्रतिशत बढ़कर 63 लाख वर्ग फुट हो गई. संपत्ति सलाहकार फर्म जेएलएल इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पट्टे पर कार्यालय स्थल की मांग में मजबूती के कारण गतिविधियों में तेजी आई है. यह रिपोर्ट देश के सात प्रमुख शहरों (दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे और कोलकाता) में सभी श्रेणी की इमारतों में पट्टे पर कार्यालय लेने की गतिविधियों को बताती है.

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