वर्दियों के पैसे न मिलने पर जताया रोष, बोले- कमिश्नर नहीं कर रहा फाइल पर साइन | Jalandhar Municipal Corporation Fourth Class Employees Stage Dharna Before Commissioner Office, Expressed anger over not getting money for uniforms
जालंधर: नगर निगम कमिश्नर ऑफिस के बाहर धरना लगाकर बैठे कर्मचारीपंजाब में जालंधर के नगर निगम के हालात कुछ ठीक नहीं है। जहां पिछले कल वेतन ना मिलने के कारण फायर ब्रिगेड कर्मचारी त्योहारी सीजन में हड़ताल पर चले गए हैं। वहीं पर आज चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने वर्दियों के पैसे न मिलने पर निगम कमिश्नर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कर्मचारियों ने आज निगम कमिश्नर दफ्तर के बाहर नारेबाजी करते हुए धरना लगाया।जालंधर नगर निगम दफ्तर के मुख्य द्वार पर कर्मचारियों को कमिश्नर ऑफिस में जाने से रोकती पुलिस।कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें तीन साल बाद वर्दियों के पैसे मिलते हैं। यह 2019 से ड्यू है, लेकिन नगर निगम के कमिश्नर उनके हक के पैसे उन्हें दे नहीं रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वह नगर निगम के कमिश्नर को कई बार रिक्वेस्ट कर चुके हैं, लेकिन वह उनकी बातों को अनसुना कर देते हैं। फाइलों को पास करने की बजाय उन पर ऑब्जेक्शन दर ऑब्जेक्शन लगाए जा रहे हैं।कर्मचारी नेता मिंटू सभ्रवाल ने कहा कि निगम में करीब 1700 कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें अभी तक वर्दियों के पैसे नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि वह अपनी मांग को लेकर निगम कमिश्नर की कोठी में स्थित कैंप ऑफिस में भी गए थे, लेकिन उन्होंने उनकी बात को अनसुना कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम कमिश्नर का निचले स्तर के कर्मचारियों के प्रति रवैया ठीक नहीं है।कमिश्नर ऑफिस के बाहर धरने पर बैछे कर्मचारी मिंटू सभ्रवाल व अन्यइस अवसर पर कर्मचारियों ने जम कर नारे बाजी की। जब कर्मचारी कमिश्नर ऑफिस की तरफ आ रहे थे तो मुख्य भवन के गेट पर पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से भी रोका, लेकिन कर्मचारियों ने मुख्य द्वार पर ही नारेबाजी शुरू कर दी। कर्मचारी पुलिस कर्मचारियों को धकेलते हुए दफ्तर में प्रवेश कर गए। इसके बाद कॉरिडोर में निगम कमिश्नर दविंदर सिंह के दफ्तर के बाहर बैठ गए।कर्मचारियों का कहना है कि त्योहारी सीजन है। उन्हें भी आस है कि वर्दियों के पैसे मिलेंगे तो वह खरीददारी करेंगे, लेकिन निगम कमिश्नर उनके पैसों पर कुंडली मार कर बैठ गया है। कर्मचारियों ने कहा कि जो पैसा उन्हें वर्दियों के लिए मिलता है वह उनका हक है, लेकिन नगर निगम कमिश्नर उन्हें उनके हक से भी वंचित रखने की कोशिश कर रहे हैं।