हिमाचल विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने है ‘रिवाज’ तोड़ने की बड़ी चुनौती

नई दिल्ली| हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार राज्य का दौरा कर रैलियां कर रहे हैं और साथ-साथ राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप, पार्टी कोर ग्रुप के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उन्हें रिवाज बदलने का मंत्र भी दे रहे हैं।

दरअसल, पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में 1990 के बाद से किसी सरकार को लगातार दूसरी बार जनादेश नहीं मिला है। हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल में सरकार बदलने को एक स्थापित राजनीतिक रिवाज मान लिया गया है और इसलिए भाजपा इस बार लगातार और बार-बार हिमाचल प्रदेश की जनता से इस बार सरकार नहीं बल्कि रिवाज बदलने की अपील कर रही है।

कई बार यह लगता है कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा की लड़ाई कांग्रेस से कहीं ज्यादा सरकार बदलने के इसी रिवाज से है। इसलिए शुक्रवार को चुनाव आयोग द्वारा हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव की तारीख का ऐलान करने के अगले ही दिन शनिवार को प्रदेश के सिरमौर जिले के सतौन में ‘हाटी आभार रैली’ को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि हिमाचल की जनता इस बार रिवाज बदल कर फिर से भाजपा को चुनने का मन बना चुकी है। चुनाव की तारीख की घोषणा होने के बाद भाजपा के चुनावी अभियान का शंखनाद करते हुए शाह ने कहा कि देवभूमि हिमाचल में प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा सरकार का बनना तय है। अमित शाह ने आगे दावा किया कि इस बार हिमाचल प्रदेश में एक नया रिवाज बनने जा रहा है – एक बार भाजपा, बार-बार भाजपा।

चुनाव आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार राज्य में 12 नवंबर को चुनाव होना है और नतीजों की घोषणा 8 दिसंबर को होगी। कई मायनों में हिमाचल प्रदेश का यह विधान सभा चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव बन गया है। हिमाचल प्रदेश भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य है इसलिए यहां भाजपा आलाकमान की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। हिमाचल प्रदेश की जीत-हार से यह भी तय होना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का असर देश के मतदाताओं पर पड़ रहा है या नहीं और 2024 लोक सभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी कांग्रेस के विकल्प के तौर पर भाजपा से मुकाबले के लिए मतदाताओं की पसंद बन पा रही है या नहीं?

हिमाचल प्रदेश में दोबारा सरकार बनाकर भाजपा कई राज्यों के मतदाताओं खासकर राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मतदाताओं को यह संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस के रिवाइवल की संभावना न के बराबर है।

इसलिए एक रणनीति के तौर पर भाजपा ने अभी तक वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री पद का आधिकारिक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। इसी वर्ष अगस्त में जेपी नड्डा ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह को हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाकर आलाकमान की तरफ से राज्य में भेज दिया था। पार्टी के सबसे अधिक लोकप्रिय और स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी स्वयं लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं तो वहीं पार्टी के सबसे अधिक कुशल रणनीतिकार अमित शाह इस पहाड़ी राज्य में लाल टोपी-हरी टोपी सहित प्रदेश के सभी इलाकों में रहने वाले सभी समुदायों को भाजपा के पक्ष में लामबंद करने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य में एंटी इनकंबेंसी के माहौल को खत्म करने के लिए फीडबैक के आधार पर कई सीटों पर उम्मीदवार बदलने की कवायद भी शुरू हो चुकी है तो वहीं जनाधार रखने वाले नेताओं को कांग्रेस और आप से तोड़कर पार्टी को और ज्यादा मजबूत करने का प्रयास भी लगातार जारी है।

आपको बता दें कि, 2017 के विधान सभा चुनाव में राज्य की कुल 68 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा को हिमाचल प्रदेश में 48.79 प्रतिशत मतों के साथ 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं 41.68 प्रतिशत मतों के साथ कांग्रेस के खाते में 21 सीटें आई थी।

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