उज्जैन 06 दिसम्बर। डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट कार्यालय में 75वा स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संभागायुक्त श्री संदीप यादव थे। संभागायुक्त ने परेड का निरीक्षण किया। परेड के द्वारा मार्चपास्ट किया गया। इस दौरान संभागायुक्त ने सलामी ली। इस अवसर पर संभागायुक्त ने कहा कि आजादी के बाद देश में होमगार्ड के बहादुर जवानों ने आपदा बचाव राहत कार्य तथा पुलिस के मुख्य सहयोगी के रूप में किये गये महत्वपूर्ण कार्यों से अपनी उपयोगिता सिद्ध करते आ रहे हैं। देश की शान्ति व्यवस्था, प्रगति और उत्थान में होमगार्ड, सिविल डिफेंस का बड़ा योगदान है। उन्होंने इस अवसर पर होमगार्ड के अधिकारियों एवं जवानों को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी। राष्ट्र के सामने आने वाली हर प्रकार की चुनौतियों से निपटने के लिये होमगार्ड के जवानों को प्रेरित किया।
डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट श्री संतोष कुमार जाट ने यह जानकारी देते हुए बताया कि परेड हेतु होमगार्ड के छह प्लाटूनों को लगाया गया था। परेड पश्चात बाढ़ व अन्य प्रकार की आपदाओं के दौरान साहस व जज्बे का प्रदर्शन करने वाले तथा आपदा के दौरान लोगों की जान बचाने वाले होमगार्ड व एसडीईआरएफ के जवानों को संभागायुक्त द्वारा पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर संभागायुक्त ने प्रधानमंत्री के सन्देश का वाचन किया। संभागायुक्त द्वारा अत्याधुनिक आपदा रेस्क्यू उपकरणों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया।
इस अवसर पर डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट श्री जाट ने बताया कि देश की आजादी के बाद भारत के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने आजाद हिन्द फौज के सेना नायकों को मिलाकर आज ही के दिन होमगार्ड संगठन की स्थापना की थी। यह होमगार्ड विभाग के लिये गौरव की बात है। आजादी के बाद देशी रियासतों के भारतीय गणराज्य में विलय कराने में होमगार्ड संगठन की अविस्मरणीय भूमिका रही थी। इसी तरह 1962, 1965 तथा भारत-पाकिस्तान युद्ध 1972 के दौरान तीनों सेनाओं का कंधे से कंधा मिलाकर होमगार्ड संगठन ने युद्ध में सक्रिय सहयोग दिया था। आज भी होमगार्ड के जवान विभिन्न आपदाओं, कानून व्यवस्था तथा देश की आन्तरिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। स्थापना दिवस के अवसर पर महिला सैनिकों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं खेलकूद गतिविधियों का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर होमगार्ड एवं एसडीईआरएफ के अधिकारी आदि उपस्थित थे।
क्रमांक 3763 उज्जैनिया/जोशी