उज्जैन 09 अक्टूबर। आज के दौर में कई किसान जिले में रासायनिक उर्वरक का कम उपयोग कर जैविक खेती की ओर रूझान बढ़ रहा है। जैविक खेती करने से किसानों को मुनाफा भी हो रहा है। खेती को लाभ का धंधा बनाने की कहावत को चरितार्थ करते हुए उज्जैन जिले के मतानाखुर्द निवासी कृषक धर्मेन्द्र पिता कमल सिंह ने गत वर्ष सोयाबीन एवं सूरजमुखी की खेती करने पर लगभग 42 हजार रुपये से अधिक की आमदनी हुई थी जबकि इस वर्ष उनके द्वारा जैविक खेती करने पर गत वर्ष से इस वर्ष 16 हजार रुपये से अधिक की आमदनी हुई। जैविक खेती करने से किसान को लाभ हुआ है न कि हानि।
मतानाखुर्द निवासी किसान धर्मेंद्र सिंह के पास तीन बीघा जमीन है और अपनी लगन एवं मेहनत से जैविक खेती करने से जो मुनाफा हुआ है, उससे वह अत्यन्त प्रसन्न नजर आ रहे हैं। श्री धर्मेंद्र के द्वारा गत वर्ष अपने खेत में सोयाबीन और गेहूं, चना की पारम्परिक खेती की थी। एक दिन उनके गांव में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी ने किसान श्री धर्मेंद्र को बताया कि रासायनिक खेती के बजाय अगर वह जैविक खेती कर फसल परिवर्तन करें तो खेती करने में उन्हें मुनाफा होगा। अधिकारी की बात मानकर उनके द्वारा इस वर्ष सोयाबीन के साथ-साथ सूरजमुखी की खेती की गई जो पूर्णत: जैविक खेती पर आधारित थी। खेती में खाली जगह होने पर उनके द्वारा सुरजना, हल्दी एवं चुकंदर तथा मक्का भी लगाई गई, जिसके माध्यम से छह हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी उन्हें हुई।