शाजापुर, 21 सितम्बर 2021/ कृषि विज्ञान केन्द्र, शाजापुर पर वर्ष 2021-22 की 25वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक कलेक्टर श्री दिनेश जैन के मुख्य अतिथ्य में संपन्न हुई। इस अवसर पर बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के विस्तार सेवायें निदेशक डॉ. एस.एन.उपाध्याय ने की। कार्यक्रम मे उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री के.एस.यादव, कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.एस.के.भार्गव, उपसंचालक उद्यानिकी श्री मनीष चौहान, उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवायें डॉ. एस.के.श्रीवास्तव, डॉ. एम.के. सिंधल, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. एस.एस. धाकड, डॉ. गायत्री वर्मा, एवं डॉ. मुकेश सिंह उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान श्री घनश्याम पाटीदार, श्री जितेन्द्र पाटीदार, गोपीपुर, श्री जुझार सिंह एंव श्री सुनील नाहर आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में केन्द्र प्रमुख डॉ. जी. आर. अंबावतिया द्वारा बैठक के उद्देश्य एंव महत्व पर प्रकाश डाला एवं जिले में कृषकों की आय दुगुनी करने हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र की विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया, जिससे कृषकों का आर्थिक विकास हो सके। इस दौरान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. एस.एस. धाकड़ विगत खरीफ 2021 मौसम में किए गए कार्यो एंव आगामी रबी 2021 में किये जा रहे कार्यो की कार्ययोजना का प्रस्तुतिकरण किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कलेक्टर श्री जैन द्वारा उन्नत किस्मों, जलसंरक्षण एवं संवर्धन, प्याज की उन्नत तकनीक एवं उसका मूल्य संवर्धन का प्रचार प्रसार कर कृषकों की आय को दुगुना करने हेतु फसल विविधीकरण एवं उद्यानिकी आधारित खेती करने की बात कही साथ ही कलेक्टर महोदय द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र शाजापुर के वैज्ञानिकों द्वारा जिले के किसानों की आय बढ़ाने हेतु किये जा रहे कार्यो की प्रषंसा की। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ.एस.एन.उपाध्याय, निदेशक, विस्तार सेवायें रा.वि.सिं.कृ.वि.वि.,ग्वालियर द्वारा उद्यानिको फसलों की उन्नत तकनीको एंव उन्नत कृषि यंत्रो एंव जल संरक्षण की उन्नत तकनीको का प्रचार प्रसार किया जाए। साथ ही कुपोषण दूर करने हेतु सोयाबीन युक्त प्रर्वधन, सुरजना रोपण एवं मूल्य संवर्धान पर ध्यान दिया जाये। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गायत्री वर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में केन्द्र के श्री रत्नेश विश्वकर्मा, श्री हितेन्द्र इंदौरिया, कु.निकिता नंद, श्री गंगाराम राठौर का योगदान भी सराहनीय रहा।
सभी सदस्यों एंव वैज्ञानिको द्वारा जिले के कृषको एंव कृषि के सुधार हेतु बहुमूल्य सुझाव दिए गये, जिसके अनुसार किसानों से कहा गया कि जैविक खेती को बढावा देने एंव कम पानी में होने वाली औषधीय फसलें एवं बाजार आधारित फसल चयन एंव फसलों के मुल्य संवर्धन अपनाएं। कृषि के साथ-साथ पशुपालन, डेरी, उद्यानिकी फसलें, कृषि आधारित उद्योगो पर विचार करें। फसल सुरक्षा, संतरे में पौध संरक्षण के उन्न्त उपयों का प्रचार प्रसार किया जाये। फसल चक्र अपनाने एंव फसल विविधिकरण हेतु जाग्रति लाने, आलू, प्याज एवं लहसुन की उन्नत कृषि तकनीक का मैदान स्तर पर व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। जलवायु परिर्वतन को देखते हुए फसलों एंव किस्मों में बदलाव किया जाए। फसलों की रेज्डबेड पद्धति से बुआई करें।