उज्जैन 22 जुलाई। शासकीय बालक उमावि उन्हेल के व्याख्याता श्री शंकरलाल परदेसी को मप्र सिविल सेवा नियम के अन्तर्गत आरोप-पत्र जारी किये गये थे। इस सम्बन्ध में संभागायुक्त श्री संदीप यादव ने कलेक्टर के प्रस्ताव के अनुक्रम में आरोपों की सत्यता की जांच के लिये नियमित विभागीय जांच का निर्णय लिया जाकर कलेक्टर कार्यालय के किसी एक अधिकारी को जिला विभागीय जांच अधिकारी और जांचकर्ता अधिकारी के समक्ष अनुशासनिक अधिकारी की ओर से मामला प्रस्तुत करने हेतु जिला शिक्षा अधिकारी को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त किया है। संभागायुक्त श्री यादव ने विभागीय जांच अधिकारी को निर्देशित किया है कि नियमानुसार विभागीय जांच की प्रक्रिया तीन माह के अन्दर पूर्ण कर जांच प्रतिवेदन दो प्रतियों में प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।
आदेश के मुताबिक व्याख्याता श्री परदेसी द्वारा आरोप-पत्रों का प्रतिउत्तर 16 अप्रैल 2021 को प्रस्तुत किया था। अधिकारी के प्रतिउत्तर पर कलेक्टर द्वारा अभिमत चाहा गया था। अपचारी अधिकारी के प्रतिउत्तर के सम्बन्ध में उत्तर मान्य करने योग्य नहीं प्रतिवेदित किया गया है। व्याख्याता श्री शंकरलाल परदेसी का उक्त कृत्य मप्र सिविल सेवा नियम के विपरीत होकर कदाचरण की श्रेणी में आने के कारण गंभीर कृत्य के लिये तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया गया है। निलम्बन आदेश की प्रभावशीलता के दौरान श्री परदेसी का मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय रहेगा। इन्हें निलम्बनकाल में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त करने की पात्रता होगी। संभागायुक्त ने मप्र सिविल सेवा नियम में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए अपचारी अधिकारी व्याख्याता श्री शंकरलाल परदेसी से अधिरोपित आरोपों की सत्यता की जांच के लिये जांच अधिकारी नियुक्त किया है।