– कोरोना गाइड लाइन के पालन में नहीं निकला चल समारोह, सोमवारिया बाजार में सांकेतिक रूप से किया देव-दानवों के बीच वाकयुद्ध का आयोजन
– रात 12 बजे श्रीकृष्ण ने किया कंस का वध
शाजापुर.
शहर की 267 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक परंपरा कंस वधोत्सव कार्यक्रम मंगलवार को कोरोना संक्रमण को लेकर जारी गाइड लाइन का पालन करते हुए मनाया गया। चल समारोह को निरस्त करते हुए सांकेतिक रूप से देव और दानव का रूप धरे कलाकारों के बीच सोमवारिया बाजार में वाकयुद्ध का आयोजन किया गया। रात 12 बजे श्रीकृष्ण का रूप धरे कलाकार ने कंस के पुतले का वध किया।
रात करीब 10 बजे सोमवारिया बाजार में श्रीकृष्ण, बलराम, धनसुखा और मनसुखा का रूप धरे कलाकार पहुंचे। वहीं कंस के दरबारी के रूप में दानवों का रूप धरकर चार कलाकार आ गए। यहां पर देव और राक्षसों के बीच जमकर वाकयुद्ध हुआ। इस वाकयुद्ध में वर्तमान परिदृश्य के आधार पर तैयार किए गए संवाद कहे गए। जिसका उपस्थितजनों ने लुत्फ उठाया। देवता और दानवों ने वर्तमान मुद्दों को लेकर एक-दूसरे पर जमकर कटाक्ष किए। इस आयोजन में राजकुमार पांडे, ऋषभ भट्ट सहित अन्य दो युवकों ने श्रीकृष्ण, बलराम और उनके सखाओं का रूप धरा। इसी तरह कंस के दरबारी राक्षसों में अनिल गुप्ता, विलेश व्यास, विशाल देवतवाल, अभय देवतवाल और गौरव शर्मा शामिल रहे। सोमवारिया बाजार में वाकयुद्ध में पराजित होने के बाद दानवों का रूप धरे कलाकार यहां से हट गए। रात 12 बजे श्री कृष्ण, बलराम सहित अन्य ने कंस चौराहा पर बनाए गए मंच पर विराजित कंस के पुतले का पूजन कर मंच से नीचे पटक दिया। पुतले के नीचे आते ही गवली समाज के लोगों ने उस पर लाठियां बरसाना शुरू कर दी। इसके बाद समाजजन पुतले को घसीटते हुए यहां से ले गए। इस अवसर पर मुख्य रूप से कंस वधोत्सव समिति संयोजक तुलसीराम भावसार, अजय उदासी, रामचंद्र भावसार, संजय शर्मा, संतोष जोशी, प्रदीप चंद्रवंशी, बंटी कसेरा, राजेश तोमर, दिलीप भंवर, सत्या वात्रे, धर्मेद्र प्रजापत, प्रवीण मुहाडक़र, कल्ली चंदेल, राजीव व्यास, ललित आंवले, विरंची मेहता आदि उपस्थित थे। अतिथि के रूप में पुरुषोत्तम चंद्रवंशी, विरेंद्र व्यास, रूपकिशोर नवाब सहित अन्य उपस्थित रहे।
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