बाइक खरीदने के बाद सीनियर्स की रैंगिग… ‘टॉर्चर’ से टूट गया था शिवांश, NSCB मेडिकल कॉलेज में छात्र की मौत बनी पहेली

मध्य प्रदेश के जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के छात्र शिवांश गुप्ता की संदिग्ध मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है. यह मामला अब केवल आत्महत्या बनाम हत्या का नहीं रहा, बल्कि इससे जुड़े कई गंभीर सवाल मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था, सीनियर-जूनियर के रिश्ते और रैगिंग की संस्कृति पर भी उठ रहे हैं.

परिजन का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि किसी गहरी साजिश का नतीजा है और पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई है.

एमबीबीएस प्रथम वर्ष का छात्र था शिवांश

शिवांश गुप्ता, जो एमबीबीएस प्रथम वर्ष का छात्र था, ने 5 जून को कॉलेज हॉस्टल की चौथी मंजिल से छलांग लगाकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली. घटना के पहले उसने अपने कुछ दोस्तों और परिजनों को व्हाट्सएप पर एक मैसेज भेजा था, जिसमें लिखा था मैं जो करने जा रहा हूं, आप मत करना. यह मैसेज पढ़ने और समझने से पहले ही वह हॉस्टल से कूद गया और जमीन पर आ गिरा. गंभीर रूप से घायल शिवांश को तत्काल नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल की आईसीयू में भर्ती कराया गया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टर उसे नहीं बचा सके.

शिवांश के परिजन इस घटना को महज आत्महत्या नहीं मानते. उनका दावा है कि यह किसी सोची-समझी साजिश के तहत की गई हत्या भी हो सकती है. दरअसल, घटना से कुछ दिन पहले ही शिवांश ने एक नई बाइक खरीदी थी और उसे कॉलेज हॉस्टल में ही रखा था. इसी बात को लेकर कुछ सीनियर छात्र उसे लगातार प्रताड़ित कर रहे थे. परिजनों के अनुसार, शिवांश ने अपनी मां को इस बारे में बताया था, लेकिन उन्होंने इसे सामान्य रैगिंग समझकर नजरअंदाज कर दिया. अब उन्हें पछतावा हो रहा है कि उन्होंने बेटे की बात को गंभीरता से क्यों नहीं लिया.

शिवांश के पिता क्या बोले?

शिवांश के पिता संतोष गुप्ता का कहना है कि उनका बेटा बेहद खुशमिजाज और होशियार था. उसने NEET परीक्षा में 720 में से 660 अंक प्राप्त कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाया था. उसकी दो बहनें भी डॉक्टर हैं और वह डॉक्टर बनने का सपना लेकर ही जबलपुर आया था. पिता ने कहा कि “जिस लड़के ने इतनी बड़ी सफलता पाई हो, जो पढ़ाई में अव्वल हो और जिसने हाल ही में नई बाइक खरीदी हो, वो आत्महत्या क्यों करेगा?”

संतोष गुप्ता ने यह भी कहा कि जो अंतिम मैसेज उनके बेटे के मोबाइल से आया, वह शिवांश की भाषा नहीं है, ऐसा लगता है कि किसी और ने शिवांश का फोन चलाया और संदेश भेजा. शिवांश की मां अर्चना गुप्ता का भी कहना है कि बेटे को ऐसी कोई मानसिक परेशानी नहीं थी. हां, बाइक लेने के बाद वह कुछ तनाव में जरूर दिख रहा था, लेकिन उसने कभी आत्महत्या जैसा कदम उठाने की बात नहीं की. शिवांश की मौत एक रहस्य बन गई है और हमें सच जानने का हक है,

परिजन का यह भी आरोप है कि शिवांश की मौत से एक रात पहले भी हॉस्टल में उसके साथ कुछ छात्रों ने बदसलूकी की थी, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान हो गया था. कॉलेज प्रशासन इस पूरे मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है. शुरुआत में प्रशासन ने इसे डिप्रेशन और आत्महत्या का मामला बताकर हल्का दिखाने की कोशिश की, लेकिन जब परिजन जबलपुर पहुंचे तो उन्होंने खुद कॉलेज में कई छात्रों और कर्मचारियों से जानकारी जुटाई. उन्हें पता चला कि शिवांश को जानबूझकर टारगेट किया जा रहा था, विशेषकर बाइक को लेकर कुछ सीनियर छात्र उससे ईर्ष्या करते थे.

मामले की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एक जांच कमेटी गठित की है, जो पूरे घटनाक्रम की पड़ताल कर रही है. वहीं, पुलिस ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए शिवांश के हॉस्टल मित्रों, कॉलेज स्टाफ और अन्य छात्रों से पूछताछ शुरू कर दी है. सीएसपी गढ़ा एच. आर. पांडे ने बताया कि हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं. कॉल डिटेल्स, मैसेज रिकॉर्ड और हॉस्टल के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की जा रही है। जल्द ही इस मामले की सच्चाई सामने आएगी.

शिवांश के परिजन की एक ही मांग है उन्हें न्याय मिले. वे चाहते हैं कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और यदि शिवांश को आत्महत्या के लिए उकसाया गया है या उसकी हत्या की गई है, तो दोषियों को सख्त सजा दी जाए. सीबीआई जांच की मांग करते हुए परिजनों ने यह भी कहा कि “हमें किसी पर भरोसा नहीं है, क्योंकि मेडिकल प्रशासन पहले दिन से ही सच्चाई छिपाने में लगा है.

शिवांश गुप्ता की मौत न केवल एक परिवार के सपनों का अंत है, बल्कि यह पूरे मेडिकल कॉलेज सिस्टम पर सवाल खड़ा करती है. यह घटना एक बार फिर सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे शिक्षण संस्थान आज भी छात्रों को सुरक्षित वातावरण दे पा रहे हैं? परिजनों की पीड़ा और मांगें जायज हैं, और यह ज़रूरी है कि शिवांश को न्याय मिले ताकि कोई और होनहार छात्र ऐसी भयावह नियति का शिकार न हो.

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