सरला मिश्रा हत्याकांड फिर सुर्खियों में! कोर्ट ने पुलिस की खात्मा रिपोर्ट की नामंजूर, कांग्रेस नेता पर हैं गंभीर आरोप
भोपाल : मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की एक अदालत द्वारा लगभग 25 साल पुराने, कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की कथित आत्महत्या मामले में पुलिस की खात्मा रिपोर्ट को नामंजूर किए जाने के फैसले के बाद ये प्रकरण एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। कांग्रेस की नेता रहीं सरला मिश्रा के भाई अनुराग मिश्रा ने इस बारे में कल संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह को लेकर एक बार फिर अपने आरोप दोहराए। सरला के भाई अनुराग मिश्रा का कहना है कि उनकी बहन सरला मिश्रा 14 फरवरी 1997 को संदिग्ध अवस्था में जली हुई पाई गई थीं। पुलिस ने उस समय इस मामले में आत्महत्या का मामला दर्ज किया था, जबकि वो मामला हत्या का था। उस समय की पुलिस केस डायरी में बहुत सी विसंगतियां थीं। उन्होंने कहा कि उन्होंने बार-बार पुलिस से इस बारे में बात की, लेकिन पुलिस ने उनकी बातों पर कोई संज्ञान नहीं लिया।
कांग्रेस के दिग्गज नेता पर आरोप
मिश्रा ने आरोप लगाया कि तत्कालीन समय में तत्कालीन मुख्यमंत्री निवास के निर्देश पर कुछ लोग घटनास्थल पर पहुंचे, पर उन्होंने ना तो अस्पताल और ना ही पुलिस से कोई संपर्क किया। उन्होंने दिग्विजय सिंह पर प्रकरण को दबाते रहने का भी आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि उनकी बहन सरला मिश्रा का उस समय कांग्रेस के कुछ नेताओं से विवाद था, जिसके कुछ ही दिन बाद उनकी बहन के साथ ये घटना हुई। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने जांच के दौरान की विसंगतियों को स्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले की जांच फिर से होनी चाहिए। भोपाल की एक अदालत ने वर्ष 2000 के इस प्रकरण में पुलिस खात्मा रिपोर्ट को नामंजूर कर दोबारा जांच के निर्देश दिए हैं।
14 फरवरी 1997 की है घटना
मामला करीब 28 वर्ष पुराना है। 14 फरवरी 1997 को सरला मिश्रा भोपाल के साउथ टीटी नगर स्थित सरकारी आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में जल गई थीं। उन्हें इलाज के लिए पहले हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली ले जाया गया था, जहां 19 फरवरी 1997 को उनकी मौत हो गई।
दोबारा शुरु होगी जांच
पुलिस थाना टीटी नगर ने मामले की जांच कर सात नवंबर 2019 को सीजेएम कोर्ट में खात्मा रिपोर्ट पेश की थी। सरला मिश्रा के भाई अनुराग मिश्रा ने इस खात्मा रिपोर्ट पर अपनी आपत्ति पेश की थी। जिसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी पलक राय ने अपने आदेश में खात्मा रिपोर्ट को अधूरा बताया है। उन्होंने लिखा कि फरियादी की प्रोटेस्ट पिटीशन और खात्मा प्रकरण में साक्षियों के कथन से घटना के संबंध में की गई विवेचना अपूर्ण दिख रही है।