बेटी से रेप के आरोप में जेल की सजा काट रहा था पिता, कोर्ट को मिले ऐसे सबूत… पलट गई पूरी कहानी

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक सौतेले पिता को आखिरकार इंसाफ मिल ही गया. अपनी बेटी से रेप के आरोप में 13 महीने तक जेल में रहे सौतेले पिता कोर्ट ने बरी दिया है. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने खुद को बचाने के लिए मृतका के सौतेले पिता के खिलाफ बयान दिए थे. कोर्ट ने इस मामले की जांच में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. साथ ही मामले की दोबारा जांच करने को कहा है.

मामला 7 साल पुराना है. 14 जून 2018 को भोपाल के अयोध्या नगर थाना क्षेत्र की रहने वाली एक 17 साल की नाबालिग लड़की ने सुसाइड कर लिया था. मृतिका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके साथ गैंगरेप की पुष्टि हुई थी. इस दौरान उसकी जेब में चार लोगों के नाम की पर्ची भी मिली थी. अयोध्या नगर थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी महेंद्र सिंह कुल्हारा ने उन युवकों पर कार्रवाई करने के बजाय 20 मई 2019 को एफआईआर दर्ज की और 9 नवंबर 2019 को पिता को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में वो करीब 13 महीने तक जेल में रहा.

जबकि, नाबालिग के पोस्टमार्टम के दौरान उसके कपड़ों में एक पर्ची मिली थी जिसमें बोदनी, मुबीन, राजू और यादव चार लोगों के नाम ओर मोबाइल नंबर लिखे थे. डीएनए रिपोर्ट में भी चार लोगों से गैंगरेप की पुष्टि हुई थी. पर्ची मिलने के बाद भी पुलिस ने इन्हें आरोपी नहीं बनाया और पड़ोसियों के बयान को आधार पर सौतेले पिता को आरोपी बना दिया.

कोर्ट में पेश किए चालान में पुलिस ने कहा कि पड़ोसियों के बयान के आधार पर ही सौतेले पिता को आरोपी बनाया था. वहीं, कोर्ट ने फैसले में कहा है कि खुद को बचाने के लिए आरोपियों ने पिता के खिलाफ ही बयान दिए थे.

डीजीपी को कोर्ट ने दिया आदेश

पुलिस को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा- घटना से 3-4 दिन पहले मासूम इन्हीं गवाहों के घर पर थी, आत्महत्या से पहले वहीं से घर लौटी थी. यह संभव है कि गवाह खुद को बचाने के लिए पिता पर झूठा आरोप लगा रहे हों. विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) कुमुदिनी पटेल ने फैसला सुनाते हुए मृतिका के सौतेले पिता को बरी कर दिया. साथ गंभीर मामले में लापरवाही करने पर टीआई के खिलाफ कार्रवाई और मामले की दोबारा जांच के कराने के लिए डीजीपी को आदेश दिए हैं.

कारोबार भी हो गया खत्म

अपनी बेटी से रेप के झूठे आरोप में करीब 13 महीने तक जेल में रहने वाले पिता का कहना है कि पुलिस ने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी. जबकि, वह घटना के समय वहां था ही नहीं. वो करौंद स्थित निर्माणाधीन बिल्डिंग में काम कर रहा था. बेटी की मौत की खबर मिली, तब वह घर पहुंचा था. उसके बाद दिल्ली चला गया था. पुलिस ने बुलाकर आरोपी बना दिया और जेल भेज दिया. उसका फर्नीचर का कारोबार था जो जेल जाने की वजह से पूरा खत्म हो गया.

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