ट्रंप और चीन के बीच टैरिफ वॉर और मंदी के खौफ ने शेयर बाजार निवेशकों को हिलाकर रख दिया है. सोमवार को शेयर बाजार में करीब 5 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली. जिसकी वजह से निवेशकों को 20 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ. जहां सेंसेक्स में 3,939.68 अंकों तक की गिरावट देखने को मिली. वहीं निफ्टी भी 1,160 अंकों से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है. इस गिरावट को साल 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन आई गिरावट के बाद सबसे बड़ी एक गिरावट माना जा रहा है. उस दौरान शेयर बाजार में करीब 6 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली थी. निवेशकों के एक ही दिन में 31 लाख करोड़ रुपए डूब गए थे.
वैसे बीते 3 से ज्यादा दशकों को शेयर बाजार में कई ऐसे मौके आए हैं, जब शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली हो. 1992 में जब हर्षद मेहता का घोटाला सामने आया था, तब एक ही दिन में करीब 13 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी. साल 2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस को कौन भुला सकता है. 2015 और 2016 की गिरावट के बाद शेयर बाजार कुछ संभला था तो कोविड ने शेयर बाजार को निगल लिया और 23 मार्च को शेयर बाजार एक ही दिन में 13 फीसदी से ज्यादा टूट गया था. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर 1992 से लेकर 2024 तक शेयर बाजार में किस मौके पर एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली और निवेशकों को कितना नुकसान हुआ.
शेयर बाजार के प्रमुख शेयर मार्केट क्रैश
1992 हर्षद मेहता घोटाला
अप्रैल 1992 को हुआ
सेंसेक्स में गिरावट: 29 अप्रैल को 570 अंक (12.77 फीसदी)
कारण: हर्षद मेहता, बिग बुल ने बैंकों से 1,000 करोड़ की हेराफेरी करके शेयर बाजार को अपना खिलौना बना लिया था. जब यह घोटाला उजागर हुआ, तो लोगों में दहशत फैल गई.
प्रभाव: 90 के दशक में निवेशकों के 4,000 करोड़ रुपए गायब हो गए. इस गंदगी को साफ करने के लिए सेबी का जन्म हुआ.
2008 ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस
जनवरी 2008 से मार्च 2009 तक हुआ
सेंसेक्स क्रैश: 61.5% की गिरावट (21,206 से 8,160)
सबसे बड़ा दिन: 21 जनवरी, 2008 को 1,408 अंक (7.4%)
कारण: यूएस में लेहमैन ब्रदर्स का पतन हुआ और इसने सभी को हिलाकर रख दिया. एफआईआई ने भारत से कैश को इतनी तेजी से बाहर निकाला कि आप “मंदी” भी कह सकते.
प्रभाव: खरबों डॉलर गायब हो गए, लेकिन भारत के बैंक मजबूती से टिके रहे. 2010 तक सेंसेक्स ने वापसी की.
2015 चीन में दहशत
घटना: 24 अगस्त, 2015
सेंसेक्स में गिरावट: 1,624 अंक (5.94%)
कारण: चीन के युआन में गिरावट, ग्लोबल मार्केट में दहशत. ब्रेक्सिट की घबराहट और सस्ते तेल को जोड़ दें. तो भारत भी इस गिरावट में फंस गया.
प्रभाव: एक दिन में ₹7 लाख करोड़ चले गए. यह एक चेतावनी थी. वैश्विक संबंध दोनों तरफ से टूट गए.
2016 डिमॉनेटाइजेशन
9 नवंबर, 2016 को हुआ
सेंसेक्स में गिरावट: 1,689 अंक (6.12 फीसदी),
निफ्टी: 541.3 अंक (6.33 फीसदी)
कारण: देश के पीएम मोदी ने रातों-रात 500 और 1,000 के नोटों पर प्रतिबंध लगाने से सभी लोग चौंक गए. बाजार में उथल-पुथल मच गई, रुपया डगमगा गया.
प्रभाव: मार्केट कैप में 3-4 लाख करोड़ रुपये की गिरावट. रियल्टी जैसे कैश और हैवी सेक्टर्स को झटका लगा.
2020 कोविड महामारी क्रैश
घटना: 23 मार्च, 2020
सेंसेक्स में गिरावट: 3,935 अंक (13.15%) – भारत की सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट
निफ्टी में गिरावट: 1,135 अंक (13%)
क्यों: लॉकडाउन ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था. भारत में शटडाउन की घोषणा ने लोगों में दहशत पैदा कर दी. जिसकी वजह से शेयर बाजार को मोटा नुकसान हुआ.
प्रभाव: 23 मार्च को इस बड़ी गिरावट की वजह से शेयर बाजार निवेशकों को एक ही दिन में 14.22 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.
2024-2025 लोकसभा चुनाव
अवधि: जून 2024 सितंबर
गिरावट: सेंसेक्स -5.22% (4,389 अंक); निफ्टी -6.10% (1,419.4 अंक)
कारण: 4 जून को शेयर बाजार में गिरावट का प्रमुख कारण बीजेपी की सीटें बहुमत से कम आना रहा. जबकि सभी एग्जिट पोल ने बीजेपी समर्थित एनडीए को 400 प्लस आने का अनुमान लगाया था.
प्रभाव: लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन शेयर बाजार में कारोबारी सत्र के दौरान 8 से 9 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली थी और बाजार बंद होने के बाद भी सेंसेक्स और निफ्टी 5 से 6 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ. जिसकी वजह से बाजार निवेशकों को 31 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.