उत्तराखंड के 11 जिलों में बाहरी लोग नहीं खरीद पाएंगे जमीन, लिस्ट में नैनीताल-देहरादून भी

उत्तराखंड की धामी सरकार ने भू-कानून को मंजूरी दे दी है. यह फैसला बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. भू-कानून के तहत प्रदेश के 11 जिले में दूसरे राज्य के लोग कृषि और उद्यान के लिए जमीन नहीं खरीद सकेंगे. इसमें हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर बाकी सभी जिले 11 जिले शामिल हैं. पहाड़ पर बाहरी लोगों के जमीन खरीदने की वजह से तेजी से डेमोग्राफिक बदलाव हो रहे थे. इसे रोकने के लिए निरंतर स्थानीय लोग सरकार से मांग कर रहे थे.

उत्तराखंड में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में भू-कानून को मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में बजट सत्र की हुई इस बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है. पहाड़ी इलाकों में तेजी से डेमोग्राफिक बदलाव हो रहे थे. जिससे राज्य की जनता को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा था. इस बात को ध्यान में रखते हुए भू-कानून को मंजूरी दी गई है. इस कानून के तहत उत्तराखंड राज्य के 13 में से 11 जिलों में बाहर के राज्य के लोगों के लिए कृषि और उद्यान की जमीन खरीदने पर प्रतिबंध रहेगा.

क्यों लाया गया भू-कानून?

पहाड़ों पर बाहर के लोग तेजी से जमीन खरीद रहे थे. इस कारण डेमोग्राफिक बदलाव भी काफी तेजी से देखा जा रहा था. अभी तक उत्तराखंड में बिना मंजूरी के 250 वर्ग मीटर जमीन और मंजूरी के साथ 12 एकड़ से ज्यादा जमीन कृषि और उद्यान के लिए खरीद सकते थे, लेकिन अब जमीन खरीदने पर पूरी तरह से रोक लगा दिया गया है. पहाड़ पर बाहरी लोगों के बढ़ते दबाव को देखते हुए स्थानीय लोग भू-कानून लेकर बनाने की मांग कर रहे थे. इसका मसौदा विधानसभा के चालू बजट सत्र में पेश किया जाएगा.

2022 में लगाई गई थी सीमा

नए कानून के तहत राज्य में भूमि खरीद-फरोख्त के लिए एक समर्पित पोर्टल बनाया जाएगा, जहां बाहरी लोगों की ओर से की गई सभी खरीद दर्ज की जाएगी. इसके अलावा, नए मसौदा कानून में यह प्रावधान है कि राज्य के बाहर के लोगों को धोखाधड़ी और अनियमितताओं को रोकने के लिए जमीन खरीदने से पहले एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा. अगर यह विधेयक पारित होता है, तो 2017 के कानून के तहत सभी प्रावधान निरस्त हो जाएंगे. इसमें भूमि खरीद पर 250 वर्ग मीटर की सीमा हटा दी गई थी. जिसे धामी सरकार ने 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद सीमा को फिर से लागू कर दिया.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, नए कानून के तहत, नगर पालिका सीमाओं के भीतर की भूमि का उपयोग केवल निर्दिष्ट भूमि-उपयोग नियमों के अनुसार ही किया जा सकेगा. यदि कोई भी इस बात का उल्लंघन करता है, तो उसकी जमीन जब्त कर ली जाएगी.

11 जिलों में बाहरी लोगों को नहीं मिलेगी जमीन

हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर बाकी सभी 11 जिलों को लेकर भू-कानून की मांग की जा रही थी. जिस पर कैबिनेट की मुहर लग गई है. इस कानून से पहले जिलाधिकारी स्तर पर जमीन खरीद की आसानी से मंजूरी मिल रही थी. कृषि और उद्यान जमीन को छोड़कर किसी को विशेष प्रयोजन के लिए जमीन लेनी होगी तो उनको मंजूरी जिलाधिकारी नहीं देंगे. उनका अपना शासन को भेजना होगा, जो अपने स्तर पर जमीन देने या नहीं देने पर निर्णय लेगा.

कौन से जिले शामिल?

जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए कैबिनेट ने भू-कानून को मंजूरी दी है. यह निर्णय राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक विरासत और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा. धानी कैबिनेट ने अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, देहरादून, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी और नैनीताल में भू-कानून के तहत जमीन बेचने पर प्रतिबंध लगाया हैं.

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