भोपाल। मध्य प्रदेश में खुरासानी इमली को संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए इसकी खोज प्रदेश भर में की जाएगी। धार जिले के मांडू में पाए जाने वाले प्राचीन एवं सांस्कृतिक महत्व के वृक्ष खुरासानी इमली की वनमंडलों में खोज करने के लिए वन मुख्यालय ने सभी डीएफओ को निर्देश जारी किए हैं।
दरअसल, 14वीं शताब्दी में महमूद खिलजी के शासनकाल के दौरान इसे मांडू लाया गया था और इसका नाम बाओबाब से बदलकर खुरासानी इमली कर दिया गया। इसे एक और नाम मांडव इमली से भी जाना जाता है। यह पेड़ ऐसा दिखता है, जैसे किसी ने इसे उल्टा करके लगाया हो। जड़ें ऊपर और तना नीचे, पत्तियां केवल वर्षा ऋतु में उगती हैं।
इसके फल को खाने के बाद तीन से चार घंटे तक प्यास नहीं लगती। इसकी उम्र पांच हजार वर्ष से भी अधिक हो सकती है। यह पेड़ अपने जीवन काल में लगभग एक लाख 20 हजार लीटर तक का पानी संग्रह कर सकता है। यह अपने खास स्वाद के साथ ही औषधीय गुणों के लिए भी जाने जाते हैं।
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बता दें कि धार जिला प्रशासन की अनुशंसा पर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा 11 खुरासानी इमली के पेड़ को हैदराबाद स्थित ग्रीन किंगडम नामक प्राइवेट कंपनी के बोटैनिकल गार्डन में ट्रांसलोकेट कर दिया गया था, जिसका प्रकरण हाईकोर्ट में चल रहा है।
जैव विविधता वाले वृक्षों को काटने पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। राजस्व विभाग ने अपनी 14 मई 2024 की अधिसूचना में कहा है कि राष्ट्रीय जैव विविधता अधिनियम 2002 के तहत अधिसूचित वृक्षों को काटने, गिराने, घेरे जाने या अन्यथा क्षति पहुंचाने के लिए इन नियमों के अधीन कोई अनुज्ञा प्रदान नहीं की जाएगी। वहीं, मप्र बायो डायवर्सिटी बोर्ड ने खुरासानी इमली को विरासत वृक्ष घोषित करने का निर्णय लिया है, जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी।
खुरासानी इमली की महत्ता को देखते हुए इसका संरक्षण किया जा रहा है। अब पूरे प्रदेश के वनमंडलों में यह प्रजाति कहां-कहां है और कितनी संख्या में है, इसकी जानकारी डीएफओ के माध्यम से एकत्रित की जा रही है।
-सुदीप सिंह, सदस्य सचिव, मप्र बायोडायर्सिटी बोर्ड
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