राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने नेताओं को किनारे कर क्यों दलबदलू पर खेला दांव?

देश के 9 राज्यों की 12 राज्यसभा सीटों पर नामांकन की बुधवार को अंतिम दिन है. बीजेपी ने मंगलवार को राज्यसभा के 9 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव के जरिए भले ही सियासी समीकरण साधने का दांव चला हो, लेकिन अपने नेताओं से ज्यादा दलबदलुओं और दूसरे राज्यों के नेताओं पर भरोसा जताया है. बिहार, राजस्थान और हरियाणा में राज्यसभा की उम्मीदवारी आस लगाए बैठे नेताओं को बीजेपी ने जोर झटका दिया है और उनकी जगह पर दूसरे दलों से आए नेताओं को कैंडिडेट बनाया है. इस तरह बीजेपी नेतृत्व ने एक तीर से कई सियासी शिकार किए हैं.

राज्यसभा के लिए बीजेपी ने मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन, असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली, बिहार से मनन कुमार मिश्र, हरियाणा से किरण चौधरी, महाराष्ट्र से धैर्यशील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, राजस्थान से सरदार रवनीत सिंह बिट्टू और त्रिपुरा के लिए राजीव भट्टाचार्य को प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा बिहार से उपेंद्र कुशवाहा को पहले ही राज्यसभा का कैंडिडेट बीजेपी ने घोषित कर रखा है.

बीजेपी ने खेला दलबदलुओं पर दांव

बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में दूसरे दलों से आए नेताओं पर बड़ा दांव खेला है. हरियाणा से बीजेपी ने राज्यसभा प्रत्याशी किरण चौधरी को बनाया है, जो लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आई हैं. इसी तरह लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए रवनीत सिंह बिट्टू को राजस्थान से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है. हालांकि, बिट्टू को बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में भी उतारा था, लेकिन जीत नहीं सके. इसके बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया है और अब राज्यसभा भेज रही है.

बिहार की दो राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. बीजेपी एक सीट पर तो उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेज रही है और दूसरी सीट पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है. मनन मिश्रा कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं, तो उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा नाम से अपनी पार्टी बना रखी है. कुशवाहा 2024 में बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं सके. अब उन्हें राज्यसभा भेजने का बीजेपी ने फैसला किया है.

ओडिशा से ममता मोहंता को बीजेपी ने राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है, जो बीजेडी छोड़कर आई हैं. इसी के साथ ओडिशा से राज्यसभा जाने वाले बीजेपी के संभावित नामों पर विराम लग गया है. मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन को राज्यसभा भेज रही है, जो केरल से आते हैं. कभी जनता दल में हुआ करते थे, लेकिन लंबे समय बीजेपी में हैं. ऐसे में बीजेपी में राज्यसभा जाने की आस लगाए बैठे कई नेताओं की उम्मीद पर पानी फिर गया है.

बीजेपी के कई नेताओं की उम्मीदें टूटी

लोकसभा चुनाव में शिकस्त खाने वाले कई नेता राज्यसभा सदस्य बनने की जुगत में थे, लेकिन पार्टी ने दूसरे दलों से आए कई नेताओं को प्रत्याशी बनाकर उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. मध्य प्रदेश की राज्यसभा सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफा देने से खाली हुई. गुना लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद सिंधिया ने राज्यसभा सीट को छोड़ दिया था. इसके बाद गुना के पूर्व सांसद केपी यादव से लेकर नरोत्तम मिश्रा और जयभान सिंह पवैया के राज्यसभा जाने की चर्चा थी, लेकिन बीजेपी ने कुरियन के नाम के ऐलान के बाद सभी दावेदारों की हसरत अधूरी रह गई है. बीजेपी ने कुरियन के जरिए केरल के समीकरण को साधने का दांव चला है. कुरियन ईसाई समुदाय से आते हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर आने वाले उपचुनाव को साधने का दांव चला है.

बिहार से राज्यसभा जाने के फिराक में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह और रितुराज सिन्हा थे. आरके सिंह 2024 में आरा लोकसभा सीट से चुनाव हार गए हैं, जिसके बाद से ही राज्यसभा जाने की जुगत में लगे थे. बीजेपी ने मनन कुमार मिश्रा और उपेंद्र कुशवाहा के नाम पर मुहर लगाकर उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. लोकसभा चुनाव हारने के बाद बीजेपी नेताओं पर उपेंद्र कुशवाहा के साथ विश्वासघात का आरोप लग रहा था. ऐसे में उन्हें राज्यसभा भेजकर बीजेपी नेताओं पर लगे दाग को मिटाने की कोशिश की जा रही है, तो दूसरी तरफ मनन मिश्रा के नाम पर मुहर लगाकर सियासी संदेश दिया है. बीजेपी ने बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्यसभा का दांव चला है, जिसके जरिए सवर्ण और ओबीसी वोट को साधने का गणित माना जा रहा है.

राजस्थान से राज्यसभा के लिए बीजेपी ने रवनीत सिंह बिट्टू को भेजा है, जबकि पहले सतीश पुनिया, अरुण चतुर्वेदी और राजेंद्र सिंह राठौड़ के उच्च सदन जाने की अटकले लगाई जा रही थीं. रवनीत बिट्टू के नाम पर मुहर लगने के बाद बीजेपी के सारे दिग्गजों की उम्मीदों पर राज्यसभा जाने के कयासों पर विराम लग गया है. बीजेपी ने बिट्टू को भेजकर पंजाब में सिख वोटों को साधने का दांव चला है.

बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा में जाट वोटों के समीकरण को देखते हुए किरण चौधरी को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है. किरण चौधरी पूर्व सीएम बंसीलाल की बहू हैं और जाट समुदाय से आती हैं. यह सीट कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लोकसभा सदस्य चुने जाने के चलते खाली हुई है. पहले पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई के नाम की भी चर्चा थी. कुलदीप बिश्नोई नॉन जाट नेता माने जाते हैं. इसके अलावा भी कई नामों की चर्चा थी, लेकिन बीजेपी ने जाट वोटों को साधने के लिए किरण चौधरी पर दांव खेला है.

ओडिशा से ममता मोहंता को बीजेपी राज्यसभा भेज रही है, जो कुडुमी समुदाय से आती हैं. आदिवासी बहुल मयूरभंज जिले से आने वाली ममता मोहंता बीजेडी से राज्यसभा सांसद थीं, लेकिन वे जुलाई में इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं. इसीलिए बीजेपी ने ममता मोहंता पर ही दांव खेला है. त्रिपुरा से बीजेपी ने अपने प्रदेश चीफ राजीव भट्टाचार्य को राज्यसभा भेजकर पार्टी नेताओं को संदेश देने की कोशिश की है. इसी तरह बीजेपी महाराष्ट्र से धैर्यशील पाटिल को राज्यसभा भेज रही है, जो दक्षिण रायगढ़ जिले के बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते बीजेपी ने पार्टी नेताओं को सियासी संदेश देने के लिए बड़ा दांव चला है.

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