सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और मंत्र जाप

 वैसे तो सावन का महीन भगवान शिव को प्रिय है. इस दौरान श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को भोलनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है. सावन में सिर्फ शिवजी की नहीं बल्कि मां पार्वती की भी पूजा की जाती है. सावन महीन के हर मंगलवार को किए जाने वाला मंगलागौरी व्रत मां पार्वती को समर्पित हैं. मान्यता है कि यह व्रत महिलाएं आपने पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है. सावन के दूसरे मंगला गौरी व्रत पर मां गौरी की विधिपूर्वक पूजा अर्चना और व्रत का पालन करने से अंखड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वहीं कुवारी लड़कियां भी इस व्रत को करती हैं. कहा जाता है जो भी कुंवारी लड़की इस व्रत का पालन करती हैं, उसे मनचाहा वर मिलता है.

मंगला गौरी व्रत तिथि और मुहूर्त (Mangla Gauri Vrat 2024 Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग 04 बजकर 41 मिनट से 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. इसके साथ ही अमृत काल सुबह 08 बजकर 02 मिनट से 09 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. इसके बाद विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक होगा. यह समय किसी भी शुभ कार्य के लिए बहुत ही बेहतर माना जाता है

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि (Mangla Gauri Vrat Pujan Vidhi)

मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. पूजा घर और मंदिर की साफ साफाई कर लें. मां मंगला गौरी की पूजा करने के लिए महिलाएं लाला रंग के वस्त्र धारण करें. उसके बाद एक चौकी पर मां गौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. उसके बाद मां गौरी का ध्यान कर मां गौरी को आभूषण पहनाएं और श्रृंगार करें. मां गौरी के सामने घी का दीपक जलाए. उसके बाद मां गौरी के मंत्रों का जाप करें और कथा का पाठ करें. मां को खीर, मौसम के फलों का भोग लगाएं और अंत में माता की आरती उतारकर पूजा संपन्न करें. इसके बाद पूजा में हुई गलितियों के लिए मां पार्वती से क्षमा मांगे.

मंगाल गौरी पूजान मंत्र (Mangla Gauri Vrat mantra)

  • सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
  • कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
  • ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।
  • ॐ गौरीशंकराय नमः

मंगला गौरी व्रत का महत्व (Mangla Gauri Vrat significance)

मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से महिलाएं रखती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी पार्वती ने इसी व्रत का पालन कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था और उन्हें पति के रूप में प्राप्त किया था. मंगला गौरी के व्रत से जीवन में खुशहाली और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. साथ ही संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी मिलता है. पूरे सावन मंगला गौरी की उपासना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है.

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