Live video शाजापुर में वन विभाग के अफसर मप्र सरकार और वन मंत्री विजय शाह की साख पर लगा रहे हैं बट्टा, वन अफसरों के विरुद्ध गरीब मजदूरों ने शाजापुर कलेक्ट्रेट की भूख हड़ताल, सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक कलेक्ट्रेट में डटे रहे मजदूर


शाजापुर-
शाजापुर जिला मुख्यालय पर 18 जुलाई को एक अजीबोगरीब तस्वीर देखने को मिली यहां पर करीब 150 की संख्या में गरीब आदिवासी दलित समाज के महिला पुरुष और बच्चे कलेक्ट्रेट के सामने अपने सर पर सामान की गठरी लेकर धरना देने पहुंचे यहां पर उन्होंने शाजापुर वन विभाग के अफसरों की हठधर्मिता उनके द्वारा मजदूरी के भुगतान के लाखों रुपये नहीं दिए जाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया इस दौरान सैकड़ों की संख्या में मजदूरों के बच्चे भूख के मारे रोते बिलखते देखे गए जिन की सुध लेने के लिए वन विभाग से कोई भी अफसर नहीं पहुंचा मामला बढ़ता देख शाजापुर के आर आई और तहसीलदार ने उन्हें चाय और बिस्किट का नाश्ता करवाया

देर शाम वन विभाग शाजापुर के एसडीओ अंकित जमोद और सुजालपुर के रेंजर पराग साहनी शाजापुर कलेक्ट्रेट में पहुंचे लेकिन उन्होंने यहां पर ना तो मजदूर को नाश्ता कराया ना मजदूरों को भोजन कराया और ना ही उनके भुगतान के संबंध में कोई सकारात्मक बात की मजदूर बरसते पानी में शाजापुर कलेक्ट्रेट के बगीचे और आसपास के क्षेत्र में परेशान होते रहे आखिर में थक हार कर शाम 4:00 बजे शाजापुर कलेक्ट्रेट परिसर के अंदर थक हार कर धरने पर बैठ गए इसके बीच एसडीओ अंकित जामोद और रेंजर पराग साहनी को मौके पर मौजूद मजदूरों ने अपनी मजदूरी का भुगतान नहीं करने ओर वन विभाग के कर्मचारियों के द्वारा गाली-गलौज करते हुए अभद्रता करने के मामले में जमकर खरी-खोटी भी सुनाई , महिला मजदूरों ने वन विभाग के अफसरों से कहा कि सबसे पहले हमें और हमारे बच्चों को खाना दो हम सुबह से भूखे प्यासे यहां पर बैठे हैं लेकिन खाने पीने के मामले में उनका कोई जवाब मुंह से नहीं निकला ।साथ ही मजदूरों ने कहा कि हमारा 17 लाख रुपए से अधिक का पेमेंट वन विभाग शुजालपुर के द्वारा रोक लिया गया है हम शाजापुर से 200 किलोमीटर दूर कटनी से यहां पर मजदूरी का काम करने आए थे सुजालपुर के ग्राम जेठड़ा में हमारे द्वारा पौधे लगाने का काम किया जा रहा था लेकिन 20 दिन से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जब हमें पैसे नहीं दिए गए तो हम परेशान हो गए ना हमारे पास खाना बनाने के लिए संसाधन के पैसे की व्यवस्था थी और ना ही हम कुछ अन्य वस्तुएं खरीद सकते हैं क्योंकि हम से काम करवाने के बाद भी हम को किसी प्रकार का भुगतान नहीं किया गया जब हमारे द्वारा इसको लेकर रेंजर से मिलने का प्रयास किया गया तो वन विभाग सुजालपुर के अफसरों ने हमें डरा धमका कर वहां से भगा दिया हम थक हार कर शाजापुर कलेक्ट्रेट पहुंचे और यहां पर न्याय की मांग करने के लिए आये।

👉 मजदूरों ने चर्चा करते हुए यह भी बताया कि हम तो यह समझते हैं कि मध्य प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री और दलित आदिवासी एवं गरीबों के मसीहा वन मंत्री विजय शाह के प्रदेश में मजदूरों के साथ इस प्रकार का अन्याय हो ही नहीं सकता लेकिन वन विभाग के इन लापरवाह अफसरों के चलते हम परेशान हो रहे हैं हमारी मजदूरी का भुगतान करने वाला कोई नहीं है।

👉 एसडीओ अंकित जामोद मौके पर पहुंचे उनके साथ सुजालपुर के रेंजर पराग साहनी भी पहुंचे लेकिन उन्होंने शाम 5:00 बजे तक भी किसी प्रकार की उचित व्यवस्था खाने-पीने की इन मजदूरों के लिए नहीं कि मजदूरों के बच्चे भूख प्यास से शाम तक रोते बिलखते रहे ।
शाजापुर जिले के सुजालपुर का यह मामला है और शाजापुर जिला मुख्यालय पर सैकड़ों की संख्या में गरीब मजदूर अपने काम के मेहनताना के लिए प्रदर्शन करते हुए दिखाई दे रहे हैं ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या मध्यप्रदेश की संवेदनशील सरकार इन मजदूरों के साथ किए गए अन्याय के मामले में जिम्मेदार वन अफसरों पर कार्रवाई करेगी क्या सरकार की साख पर बट्टा लगाने वाले एसडीओ अंकित जामोद और सुजालपुर के रेंजर पराग साहनी पर कोई कार्रवाई होगी या फिर इस मामले में ऐसे ही लीपापोती होकर इन गरीबों के साथ अन्याय होगा हालांकि गरीब आदिवासी और निम्न वर्ग के मजदूर जो कटनी से शाजापुर आए इन मजदूरों ने मीडिया के माध्यम से मंत्री विजय शाह से मांग करते हुए कहा कि हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हमारे गरीबों के मसीहा वन मंत्री श्री विजय शाह इस मामले में हम को न्याय दिलाते हुए हमारे साथ अन्याय करने वाले इन वन विभाग के लापरवाह अफसरों पर सख्त कार्रवाई करेंगे
शाजापुर के कलेक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठे इन मजदूरों की स्थिति को देखते हुए आज वह बात याद आ गई कि गरीब और निम्न वर्ग के मजदूरों की सुनने वाला कोई नहीं है जबकि मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की संवेदनशील सरकार में अफसरों को स्पष्ट निर्देश है कि आदिवासी वर्ग के गरीब वर्ग के मजदूर वर्ग के लोगों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय ना किया जाए क्योंकि मध्य प्रदेश की और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की संवेदनशील सरकार आदिवासी और गरीब वर्ग के प्रति कितनी संवेदनशील है कि भारत के राष्ट्रपति के लिए भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आदिवासी चेहरे को सामने लाकर देश में आदिवासी और गरीब एवं मजदूर वर्ग के लोगों के साथ न्याय करने का संकल्प लिया है लेकिन शाजापुर जिला मुख्यालय के वन विभाग के एसडीओ अंकित जामोद और सुजानपुर के रेंजर पराग साहनी की करतूतों से मध्य प्रदेश की संवेदनशील सरकार पर एक सवालिया निशान खड़ा हो गया है

👉मजदूरों ने शाजापुर कलेक्टर को आवेदन देते हुए बताया की हम प्रार्थिगण कटनी जिले के होकर मजदूरी का कार्य करते है तथा विगत 20 दिनों से शुजालपुर के समीप ग्राम जेठडा लाक्ष्मी मंदिर के पास बन विभाग के रेंजर जिसका मोबाइल नंबर 8839617883 के कहने पर हमारे द्वारा वृक्षारोपण का कार्य किया जा रहा था हमारे द्वारा 2*2 के गड्ढों में 88845 पोधे लगाए गए व 04 प्रकार का कार्य किया गया तथा हमें प्रति गड्ढा 20 रुपये के मान से मजदूरी दिए जाने का कहा गया था परन्तु रेंजर साहब के द्वारा हमें बीच बीच में कुल मिलाकर 35000/- का ही भुगतान किया गया है वही हमारे द्वारा उक्त कार्य कुल राशि 17,76,900/- का पूर्ण कर दिया गया है जिसके पश्चात हमारे द्वारा अपने कार्य का शेष बचा हुआ 17,41,900/- रूपये मागने पर रेंजर साहब के द्वारा अब शेष राशि नहीं देने का कहा जा रहा है व हमारे साथ अभद्रता की जा रही है व गत रात्री को हमें वहा से बलपूर्वक डरा धमका कर भगा दिया गया है।

👉 शाजापुर कलेक्ट्रेट में पत्रकारों की टीम ने जब एसडीओ अंकित जामुन और सुजालपुर के रेंजर बराक सहानी से बात करने की कोशिश की तो वह बचते नजर आए और इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला देते हुए मीडिया से बात नहीं करते हुए कैमरा देख कर इधर-उधर बगले झांकते हुए नजर आए

👉 मालवा अभी तक की टीम शाम 7:00 बजे तक शाजापुर कलेक्ट्रेट में मौजूद रही यहां पर मजदूर एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस चक्कर लगाते हुए दिखाई दिए वहीं वन विभाग के अफसर भी उनकी समस्या का निराकरण नहीं करते हुए वहां से अपनी बोलेरो गाड़ी में बैठ कर चलते बने

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