इन चार राज्यों के BJP विधायकों ने मध्य प्रदेश में डाला डेरा, एक-एक सीट का करेंगे सर्वे

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र की जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र से पार्टी विधायक एक कार्यक्रम के तहत भोपाल पहुंचे हैं, इसमें हर विधायक को प्रदेश की एक-एक विधानसभा सीट आवंटित की जाएगी। पार्टी नेताओं ने कहा कि चार राज्यों के इन भाजपा विधायकों के लिए एक प्रशिक्षण सत्र शनिवार को भोपाल में शुरू हुआ, इसके बाद वे राज्य में अपनी आवंटित विधानसभा सीटों का दौरा शुरू करेंगे। प्रदेश में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। प्रदेश में कुल 230 विधानसभा क्षेत्र हैं।

भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने आज सुबह विधायकों के लिए प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन किया। राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री और भाजपा नेता विश्वास सारंग ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने फैसला किया है कि गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के पार्टी विधायक रविवार से विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे।” उन्होंने कहा कि आने वाले विधायक उन्हें आवंटित अपने संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे और विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत के संकल्प के साथ काम करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि कार्यक्रम के तहत वे पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों और मतदाताओं से बातचीत करेंगे। सारंग ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। इससे पहले बृहस्पतिवार को, सत्तारूढ़ भाजपा ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले ही राज्य विधानसभा चुनावों के लिए 39 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की।

इस सूची में भगवा पार्टी ने 2018 में हारी हुई सीटों और 2013 में भी हारी कुछ सीटों पर ध्यान केंद्रित किया है। इनमें तीन पूर्व मंत्रियों समेत 14 ऐसे उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है, जो पिछली बार चुनाव हार गए थे। मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा 109 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस ने निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों के समर्थन से पार्टी के दिग्गज नेता कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई। हालांकि, तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में बगावत के बाद कमलनाथ सरकार 15 महीने बाद गिर गई थी।

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