बेरछा में रोजे में इबादत का पुरखुलूस मंजर, रोजे रखने में बच्चे आगे ख़ुदा को राज़ी करने तीन मासूम बच्चों ने रखा पहला रोज़ा

शाजापुर/बेरछा:-बेरछा मंडी में समाज के वरिष्ट समाजसेवी पूर्व ज़िला सहकारी संघ अध्यक्ष हाजी मुन्ना पठान बेरछा के पोते एवं पोती माहेरा पठान पिता एडवोकेट् सईद पठान ,मो. मुफ़ीद पठान पिता एडवोकैट जावेद पठान एवं मो.मारूफ पठान पिता एडवोकैट सावेद पठान ,बेरछा तीनों मासूम बच्चों ने 8 वर्ष की उम्र में रोज़ा रख के पूरे दिनभर अल्लाह की इबादत की साथ ही रोज़ा इफ़्तार पार्टी के आयोजन में छोटे बड़े सभी शामिल हुए एवं रोजे रखने वाले बच्चों का इस्तक़बाल किया।

रमजान में रोजे को अरबी में सोम कहते हैं। जिसका मतलब है रुकना। रोजा यानी तमाम बुराइयों से परहेज करना। यदि किसी जगह लोग किसी की बुराई कर रहे हैं तो रोजेदार के लिए ऐसे स्थान पर खड़ा होना मना है। जब मुसलमान रोजा रखता है, उसके हृदय में भूखे व्यक्ति के लिए हमदर्दी पैदा होती है। जकात इसी महीने में अदा की जाती है। रोजा झूठ, हिंसा, बुराई, रिश्वत, तमाम गलत कामों से बचने की प्रेरणा देता है। इसका अभ्यास पूरे महीना कराया जाता है। -मुस्लिम समाज सरपरस्त हाजी मुन्ना पठान बेरछा

^ इस महीने में इबादत और नमाज का सवाब 70 गुना मिलता है। नमाज हर वक्त यह अहसास दिलाती है कि जो कुछ तू कर रहा है, खुदा उसको देख रहा है। हमें खुदा से डरना चाहिए, ताकि बुरा काम न करके अच्छा काम करें। सबका भला ही सोचें। दूसरों की भलाई करने के लिए खुद को हर वक्त तैयार रखें। अल्लाह अपने बंदों का इम्तिहान लेना चाहता है कि मेरे बंदे रोजा रखकर अपनी मोहब्बत का हक अदा भी कर सकते हैं या नहीं। -हाजी हाफ़िज़ अलाउद्दीन साहब, इमाम आयशा मस्जिद बेरछा मंडी

रोजे को लेकर सावधानियां

वैज्ञानिकनजरिए से रोजेदार को कुछ सावधानियां रखनी चाहिए। डॉ.फारूख अली ख़ान एवं डॉ.आशिफ़ ख़ान के अनुसार गर्मी में दिनभर प्यासे रहने के बाद कोल्ड ड्रिंक्स और तली हुई भोजन सामग्री से परहेज करना चाहिए। हल्का भोजन करने से पेट और आंतों को राहत मिलेगी और ऊर्जा भी पर्याप्त मात्रा में मिलेगी। ऐसे समय दूध, जूस, फल जैसा हल्का भोजन ही करना चाहिए। रोजा खोलने के बाद भरपूर पानी पीना चाहिए, ताकि दिन की कमी पूरी हो सके।


रमजानमहीने के हैं तीन हिस्से

रमजानइस्लामी महीने का 9वां महीना है। इसका नाम भी इस्लामिक कैलेंडर के 9वें महीने से बना है। यह महीना इस्लाम के सबसे पाक महीनों में शुमार किया जाता है। रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है। हर हिस्से में दस-दस दिन आते हैं। पहला अशरा रहमत, दूसरा बरकत तथा तीसरा अशरा मगफिरत का होता है। हर दस दिन के हिस्से को अशरा कहते हैं। इसका मतलब अरबी में 10 है। कुरआन के दूसरे पारे की आयत नंबर 183 में रोजा रखना हर मुसलमान के लिए जरूरी बताया गया है।

मालवा अभीतक की ताजा खबर सीधे पाने के लिए : 
ताज़ा ख़बर पाने के लिए एंड्राइड एप्लीकेशन इनस्टॉल करें :

US के आदेश के बाद हुआ सीजफायर… BJP विधायक का बड़ा बयान     |     ‘दर्द से चिल्ला रहा था पोता, उल्टियां कर रहा था…’ दादा को बताया-चूहा मारने वाली गोली खाई, मौत     |     इंदौर में दोहराई गई फिल्म दृश्यम वाली कहानी, युवक ने दोस्त की कैसे की हत्या?     |     कुएं में गिरे 75 साल के बुजुर्ग, 10 घंटे तक अंदर ही रहे; SDERF ने सुरक्षित निकाला     |     भोपाल: जहर खिलाया, 2 दिन कंटेनर में बंद रखा, फिर जला दिया शव… पिता से बदला लेने के लिए महिला ने मासूम की कर दी हत्या     |     पाकिस्तानी सेना के पक्ष में शेयर किया Video, 4 दिन बाद ही महिला टीचर पर हो गई ये कार्रवाई     |     चूल्हे पर टेस्टी चाय कैसे बनाएं? बाबा बागेश्वर से सीखिए नायाब तरीका     |     व्यापम घोटाले में 11 दोषी करार, CBI की विशेष अदालत ने 3 साल की कैद और 16 हजार का लगाया जुर्माना     |     सिगरेट उधार नहीं दी तो आपे से बाहर हुआ दबंग, पनवाड़ी की दुकान पर चला दीं 15 गोलियां फिर…     |     हाथों में तख्ती ली, फिर कर दी ये मांग… लव जिहाद के खिलाफ महिलाओं ने खोला मोर्चा     |