उज्जैन,,
केंद्रीय जेल भैरूगढ़ में कर्मचारियों के जीपीएफ खातों से हुए गबन मामले में शनिवार को बड़ी कार्रवाई हुई। जेल अधीक्षक उषा राज को भैरुरूगढ़ पुलिस ने हिरासत में लिया। उनसे प्रकरण से संबंधित पूछताछ की जाएगी। इससे पूर्व शुक्रवार देररात उन्हें उज्जैन जेल अधीक्षक के पद से हटाने और भोपाल मुख्यालय अटैच करने का आदेश जारी हुआ। शनिवार सुबह इस आदेश के चलते कर्मचारियों ने जेल परिसर में आतिशबाजी कर उषा राज के तबादले की खुशी मनाई। थोड़ी ही देर बाद जेल परिसर में महिला पुलिस बल और वरिष्ठ अधिकारियों का जुटना शुरू हो गया। पुलिस ने जब जेल अधीक्षक को हिरासत में लिया तो उन्होंने काफी विरोध किया। काफी देर बाद वह पुलिस के साथ बाहर निकली।
इस मामले में केंद्रीय जेल के एक कर्मचारी के जीपीएफ खाते में पैसा शून्य हो गया। जब उसने मामले की शिकायत की तो कोषालय के अधिकारियों ने पाया कि जेल कर्मचारियों के जीपीएफ खाते से पैसा निकाल कर अन्य लोगों के खाते में भेजा जा रहा है। इस पूरे प्रकरण की जांच करीब पांच दिन तक चली और कलेक्टर को प्रतिवेदन सौंपा गया। कलेक्टर ने यह रिपोर्ट जेल मुख्यालय को सौंपी। कलेक्टर के जांच प्रतिवेदन के आधार पर जेल मुख्यालय द्वारा जेल उप महानिरीक्षणक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी ने जांच की। कमेटी के प्रतिवेदन के अनुसार जेल डीपीएफ लेनदेन प्रक्रिया में ऑनलाइन आधार पर कूटरचित
दस्तावेजों का उपयोग कर फर्जी रही है। पुलिस की जांच में हर तरह का भुगतान दिया गया। यह राशि करीब 15 वह सहयोग कर रही है। जब एक करोड़ रुपए के आसपास है।
मैं खुद लड़ रही हूं
उषा राज को हिरासत में लेने पहुंची बता दें कि उषा राज को हिरासत में लेने पुलिस का उन्होंने विरोध किया। उन्होंने
खुद को निर्दोष बताया। उनका कहना पुलिस विभाग के आला अधिकारियों था कि वह खुद गलत के खिलाफ लड़ के निर्देश पर हुई।
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“कमेटी ने मानी जेल अधीक्षक की लापरवाही
जांच कमेटी के प्रतिवेदन के अनुसार प्रथम दृष्टया जेल अधीक्षक उषा राज की लापरवाही नजर आती है। उन्होंने लेखा विभाग में पदस्थ कर्मचारी रिपुदमन पर उनकी ऑनलाइन आईडी और पासवर्ड के दुरूपयोग की शिकायत की। बता दें कि यह पूरा कांड लेखा में पदस्थ कर्मचारी रिपुदमन के द्वारा किया गया। वह फरार है। दो अन्य कर्मचारी भी मामले में फरार है। इनके खाते में 50-50 लाख रुपए आए। बता दें कि कर्मचारियों के जीपीएफ भुगतान का आवेदन कोषालय में जाता है। वहां से ऑनलाइन प्रक्रिया होने के बाद इस आवेदन का सत्यापन ऑनलाइन आईडी से होता है। इस आईडी के पासवर्ड जेल अधीक्षक के पास होता है।