तौबा के लिए उठे हाथ, नम हुई आंखें,29 मिनिट दुआ मांगी हज़रत मौलाना साअद ने,आलमी तब्लीगी इज्तिमा का समापन
-नईम कुरेशी *भोपाल:-* सोमवार सुबह सर ज़मीन ए भोपाल में लाखों लोगों की सदायें रब से गुनाहों की तौबा के साथ माफ़ी देने के लिए गूंज उठीं। पूरे आलम के इंसानों में मोहब्बत, अम्न ओ अमान और भाईचारे के लिए हाथ उठे तो अंखों से अश्रुधारा भी बह निकलीं।
मौक़ा था 72 वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा के समापन का। राजधानी भोपाल के ईंटखेड़ी स्थित इज्तिमागाह में मौजूद जन सैलाब विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागमों में शामिल इस आयोजन के महत्त्व को ख़ुद बयान कर रहा था। दुआ ए ख़ास के लिए विश्व के मशहूर उलेमा जनाब हज़रत मौलाना साअद साहब ने जैसे ही दरूद शरीफ़ की शुरुआत की लाखों की तादात में मौजूद लोगों ने ख़ुदा का तसव्वुर कर रूह की गहराईयों से तौबा के लिए हाथ उठा दिए। हज़रत मौलाना साअद साहब जब दुआ करवा रहे थे, वहां सिर्फ़ आमीन और ख़ुदा के आगे सर झुकाये बन्दों की सिसकियां ही सुनाई दे रहीं थी।
इज्तिमा के आखिरी दिन सोमवार को सुबह करीब 9.21 बजे तक मौलाना साअद साहब ने बयान फ़रमाया। सुबह करीब 9.28 बजे साअद साहब ने दुआ शुरु की, जो करीब 29 मिनट चली। वहीं तब्लीग के छह बिन्दुओं को तफ्सील से समझाते हुए हज़रत मौलाना साअद साहब ने दुनियाभर के लिए रवाना होने वाली जमातों को तालीम भी दी।
*तब्लीग नबी का पसंदीदा काम*
दुआ ए खास से पहले मजमे को ख़िताब करते हुए मौलाना साअद साहब ने कहा कि तब्लीग का काम हमारे पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम के पसंदीदा कामों में से एक है। उन्होंने दीन की ख़ातिर बेहद तकलीफ़ और परेशानियां उठाईं हैं। उन्होंने कहा कि आज इंसान ने अपनी जरुरत को दुनिया के आसपास महदुद कर लिया है। जबकि अपनी असल जिंदगी आख़िरत के लिए तैयारी करने की उसे फ़िक्र नहीं है। जमातों में निकलकर तब्लीग के ज़रिए लोगों को असल जिंदगी की मेहनत के लिए ही बताया जा रहा है।
*इज्तिमा से 2 हज़ार जमात रवाना हुईं*
आलमी तब्लीगी इज्तिमा के आखिरी दिन इज्तिमागाह से क़रीब 2 हजार जमाते रवाना हुईं। मौलाना साअद साहब ने मुसाफ़ा कर दुआओं के साथ इन्हें रवाना किया। यह जमातें देशभर और दुनिया के कोने-कोने में जाकर तब्लीग का काम करेंगी।
*ख़िदमत के लिए सबने हाथ बढ़ाया*
चार दिन के इज्तिमा के दौरान प्रबंधन, वालेंटीयर्स और सरकारी विभागों के अलावा आसपास के रहवासियों और शहर की सामाजिक संस्थाओं ने भी जमातियो को सहूलियत के लिए कई काम किए। इनमें रास्ते में पानी, चाय, नाश्ते के फ्री इंतजाम से लेकर लोगों को इज्तिमागाह तक फ्री आवाजाही के साधन मुहैया कराने वाले भी शामिल थे। स्थानीय मैकेनिक ने इज्तिमागाह के रास्ते में खराब होने वाले वाहनों के मुफ्त रिपेयरिंग का ऐलान कर इसकी सूचना सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाई। सर्दी से बचाव के साधन साथ न ला पाने वाले लोगों को मुफ्त कंबल वितरित करने के काम भी इज्तिमा अवधि में किए गए थे।
*हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल बना इज्तिमा*
दुआ के बाद घरों के लिए रवाना हुए लोगों को रास्ते की परेशानियों से बचाने के लिए इस्लाम नगर, सेमरा सैयद, गोलखेडी, लाम्बाखेडा आदि ग्रामों के बाशिंदों ने व्यवस्थाएं की थी। पीने के पानी, चाय आदि के अलावा ये जमातियो को व्यवस्थित यातायात के इंतजाम भी संभाल रहे थे। गौरतलब है कि इन ग्रामीणों में अधिकांश हिन्दू समुदाय के लोग हैं। आखिरी दिन की व्यवस्थाओं के अलावा हिन्दू समाज के लोगों ने इज्तिमा की पार्किंग के लिए भी अपने खेतों में जगह उपलब्ध कराई हैं। इसके अलावा इज्तिमागाह पर तैयार किए गए अस्थाई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को तैयार करने के लिए बिछाई गई लाइन के लिए भी कई हिंदू भाइयों ने अपने खेतों से पाइप लाइन गुज़ारने की जगह दी है। इस बार का इज्तिमा हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के साथ सनातन और इस्लाम धर्म को मानने वालों के बीच एकता व एक दूसरे के मज़हब के प्रति सम्मान की मिसाल भी बना।